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( २७ ) विषय योग पासव है योग शुभ और अशुभ रूप है पासव के दो भेद सांपरायिक पासव के भेद तीव्रभाव आदि से पासव में अन्तर पड़ता है अधिकरण दो प्रकार का है जीवाधिकरण के एक सौ पाठ भेद .... अजीवाधिकरण के भेद ज्ञानावरण दर्शनावरण कर्मों के पासव .... असातावेदनीय कर्म के प्रासव सातावेदनीय कर्मासव दर्शनमोहनीय के पासव चारित्रमोहनीय के पासव नरकायु के कारण तिर्यंच आयु के आसव मनुष्यायु के पासव पुनः मनुष्यायु के पासव सभी आयु के आसव देवायु के पासव सम्यक्त्व भी देवायु का पासव है अशुभ नाम कर्म के कारण शुभ नाम कर्म के कारण तीर्थंकर नाम कर्म के आसव नीच गोत्र कर्म के आसव उच्च गोत्र के पासव अन्तराय कर्म के आसव
सातवां अध्याय हिंसादि पापों से दूर होना व्रत है अणुव्रत महावत
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