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________________ ( २६) विषय सूत्र पृष्ठ ३०३ ३०६ ३०७/३११ २४ ३१२ ३१५ ३१६ ३१७ ३१८ ३१८ ३२१ m m परत्व अपरत्व का लक्षण पुद्गल का स्वरूप .. पुद्गल की विभाव पर्यायें पुद्गल के भेद स्कन्धों की उत्पत्ति परमाणु की उत्पत्ति चाक्षुष स्कन्ध की उत्पत्ति द्रव्य का लक्षण सत् का स्वरूप नित्य का स्वरूप मुख्य और गौणता से वस्तु की सिद्धि पुदगल का परस्पर में बंध होने में निमित्त जघन्य गुण वाले पुद्गल का बंध नहीं होता गुण का अर्थ भाग या अंश है समान गुण वालों का बंध नहीं होता ... दो गुण अधिक वाले पुद्गलों का बंध होता है अधिक गुण वाले पुद्गलरूप परिणमन हो जाता है द्रव्य गुण पर्याय वाला है काल द्रव्य है वह अनंत समय वाला है गुणों का लक्षण परिणाम पर्यायों के भेदों का चार्ट धर्मादि चार द्रव्यों की पर्यायों का चार्ट .... जीव द्रव्य की पर्यायों का चार्ट पुदगल द्रव्यों की पर्यायों का चार्ट छठा अध्याय काय, वचन और मनकी क्रिया को योग कहते हैं FEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEL ३२३ ३२४ ३२४ ३२५ ३२६ ३२८ ३२९ ३३२ ३३२ ३३३ ३३७ ३३८/३३९ ३४० ३४१ ३४२
SR No.090492
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorBhaskarnandi
AuthorJinmati Mata
PublisherPanchulal Jain
Publication Year
Total Pages628
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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