SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय कल्प व्यवस्था लौकान्तिक देवों का कथन द्विचरम देव तिर्यंच देवों की आयु का कथन अजीव द्रव्य सामान्य द्रव्य जीव द्रव्य धर्मादि द्रव्य अवस्थित हैं पुदगल रूपी है अखंड द्रव्य धर्मादि द्रव्य निष्क्रिय है धर्मादि द्रव्यों के प्रदेश आकाश प्रदेश पुद्गलों के प्रदेश सभी द्रव्य प्रकाश में है धर्मादि द्रव्यों का अवगाह धर्म और अधर्म द्रव्य का उपकार उपग्रह शब्द की उपयोगिता आकाश द्रव्य का उपकार पुदगल द्रव्य का उपकार पुद्गल द्रव्य का उपकार जीव द्रव्य का उपकार काल द्रव्य का उपकार वर्त्तना का लक्षण परिणाम का लक्षण क्रिया का लक्षण .... .... ( २५ ) [ भवनत्रिक देवांगना की आयु अपने देवों की आयु के आठवें भाग प्रमाण ] पञ्चम श्रध्याय .... 0000 .... 8000 .... .... .... 0000 .... 0000 .... सूत्र २३ २४/२५ २६ २७ २८/४२ ३ ५ ९ १० १२ १३/१५ १७ १८ १९ २० २१ २२ पृष्ठ २३० २३१ २३२ २३३ २३५ / २४५ २४९ २५२ २५५ २५८ २५९ २६१ २६२ २६७ २६९ २७० २७२ २७३/२७७ २८ १ २८३ २८७ २९० २९५ २९७ २९८ २९९ ३०१ ३०२
SR No.090492
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorBhaskarnandi
AuthorJinmati Mata
PublisherPanchulal Jain
Publication Year
Total Pages628
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy