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________________ ( २४ ) विषय सूत्र - ३१. ३२ : ३३ . पृष्ठ १७१ १७२ १७३ १७५ १७७ १७९ १८१ ३४ NA xur 2 १८३ . १८४/१६७ १९८/२०० .... विदेहों में प्रायु प्रमाण [विदेह में मनुष्य की ऊंचाई ५२५ धनुष ] प्रकारान्तर से भरत का प्रमाण धातकी खंड में भरतादि प्रमाण पुष्करार्ध में भरतादि का प्रमाण मनुष्य क्षेत्र का प्रमाण मनुष्यों के प्रभेद कर्मभूमियां कहां कहां हैं [कुभोगभूमिज चारों गतियों में जाते हैं ] मनुष्यों की आयु पल्य सागर आदि अलौकिक माप एवं लौकिक माप आदि का कथन तिथंचों की आयु चतुर्थ अध्याय देवों के चार निकाय आदिके तीन निकायों में लेश्या देवों के भेद व्यन्तर ज्योतिष्कों में त्रायस्त्रिश और लोकपाल भेद नहीं है प्रवीचार का कथन भवनवासियों के दस भेद व्यन्तरों के भेद ज्योतिष्क के भेद ढाई द्वीप ज्योतिष्क गति शील हैं [भरत ऐरावत कील के समान ध्र व ज्योतिष्क एवं उनकी प्रदक्षिणा] ज्योतिष्क गमन से व्यवहार काल .... ढाई द्वीप बाहर ज्योतिष्क स्थित है .... वैमानिकों का कथन स्वर्गों के नाम स्वर्गों के ऊपर ऊपर स्थिति आदि अधिक है वे देवगति आदि ऊपर ऊपर कम करते हैं । वैमानिकों में लेश्या १ २०२ २. २०३/२०७ ३/४ २०७/२०९ २०९ २११/२१२ २१३ २१४ २१५ १३ २१७ २१९ २२० १६/१८ १९ २२१ २० २१. २२५ २२६ २२७ २२
SR No.090492
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorBhaskarnandi
AuthorJinmati Mata
PublisherPanchulal Jain
Publication Year
Total Pages628
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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