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सुखबोधायां तत्त्वार्थवृत्तौ
प्रणवः स्कन्धाश्च ।। २५ ।।
प्रदेशमात्रभाविभिः स्पर्शादिभिर्गुणैः सततं परिणमन्त इत्येवमण्यन्ते शब्द्यन्ते ये ते अरणवः । सौक्ष्म्यदात्मादय आत्ममध्या आत्मान्ताश्च । उक्तं च
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अत्तादि प्रत्तमज्भं प्रत्तन्तं णेव इन्दिए गेज्जं । जं दव्वं अविभागि तं परमाणु वियाणाहि ॥ इति ||
स्थूलभावेन ग्रहण निक्षेपणादिव्यापारस्कन्दनात् स्कन्धा इति संज्ञायन्ते । रूढिवशाद्ग्रहणादिव्यापारयोग्येष्वपि द्वणुकादिषु स्कन्धाख्या वर्तते । अनन्तभेदा अपि पुद्गला अणुजात्या स्कन्धजात्या चद्वैविध्य मापद्यमानाः सर्वे गृह्यन्त इति तज्जात्याधारानन्तभेदसंसूचनार्थमुभयत्र बहुवचनं कृतम् । इत्येकविभक्तिनिर्देशो युक्तो लघुत्वादिति चेत् तन्नोभयसूत्रसम्बन्धार्थत्वाद्भेदकरणस्य । तेन स्पर्श रसगन्धवर्णवन्तोऽरणवः । स्कन्धाः पुनः शब्दबन्ध सौक्ष्म्यस्थौल्य संस्थानभेदतमश्छायातपोद्योतयन्तश्च स्पर्शादिमन्तश्चेत्ययमभिसम्बन्धः सिद्धो भवति । समासे पुनः समुदायस्यार्थवत्वादवयवार्थाभावाद्भेदे
सूत्रार्थ - पुद्गल द्रव्य के दो प्रकार हैं अणु और स्कन्ध । प्रदेशमात्र में होने वाले स्पर्शादि गुणों द्वारा जो सतत् परिणमन करते हैं उन्हें अणु कहते हैं । अण्यंते इति अणवः ऐसी निष्पत्ति है । ये अत्यन्त सूक्ष्म होने से स्वयं ही आदि मध्य अन्त स्वरूप हैं, कहा भी है - जो स्वयं ही आदि है स्वयं मध्य और स्वयं अन्तरूप है, इन्द्रिय ग्राह्य नहीं है ऐसा जो अविभागी द्रव्य है उसको परमाणु जानो || १ | | ( पंचास्तिकाय ) स्थूल होने से ग्रहण करना रखना आदि व्यापार योग्य जो होवे वे स्कन्ध कहलाते हैं । यद्यपि द्वणुक आदि स्कन्ध ग्रहण आदि व्यापार के योग्य नहीं होते तो भी रूढिवश उन्हें भी स्कन्ध कहते हैं । यद्यपि पुद्गल के अनन्त भेद हैं तो भी अणुओं की जाति और स्कन्धों की जाति से उनके दो प्रकार हैं उनका यहां सूत्र में ग्रहण किया है जाति के आधार से होने वाले अनन्त भेदों की सूचना के लिये अणवः स्कन्धाः ऐसा बहुवचन किया गया है ।
शंका- 'अणु स्कन्धाः' ऐसा एक विभक्ति निर्देश करना चाहिए जिससे सूत्र लघु हो जाय ?
समाधान — यह ठीक नहीं है । दो सूत्रों के संबंध के लिए भेद निर्देश किया है । उससे यह ज्ञात होता है कि अणू, स्पर्श, रस, गंध वर्ण वाले होते हैं । और स्कन्ध शब्द, बन्ध, सौक्ष्म्य, स्थौल्य, संस्थान, भेद, तम, छाया, आतप और उद्योत वाले तथा स्पर्शादि युक्त भी होते हैं । इस तरह पूर्वोक्त स्पर्शादि वाला सूत्र और शब्द बंध इत्यादि वाला