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स्थावरों के भेद त्रस भेद इन्द्रियां
[अभ्यन्तर सूक्ष्म पुद्गल स्कन्ध रूप है । इन्द्रियों के विषय श्रुत मनका विषय है स्थावरों में एक स्पर्शनेन्द्रिय है त्रसों में इन्द्रिय व्यवस्था समनस्क विग्रह गति में कार्मण योग विग्रह गति में अनुश्रेणि गमन मोडा रहित गति विग्रह गति में समय अविग्रह गति में एक समय अनाहारक का काल जन्म प्रकार योनि भेद गर्भ जन्म उपपाद जन्म संमूर्छन जन्म शरीर के भेद शरीरों में आगे आगे सूक्ष्मता प्रदेशों से अधिकता अन्तिम दो शरीर प्रतिघात रहित है तथा अनादि सम्बद्ध है ये दो शरीर सभी संसारी के है एक साथ चार शरीर संभव है कार्मण शरीर निरुपभोग है औदारिक गर्भज व संमूर्च्छनज है .... वैक्रियिक उपपादज है तथा लब्धि निमित्तक भी है तैजस की व्यवस्था [लब्धि वाला तैजस शरीर दो प्रकार का है ]
१०१ १०२ १०३ १०४ १०४ १०५ १०६ १०७ १०८ १०८
..
३७ ३८/३९ ४०/४१
४२ ४३ ४४
४५ ४६/४७
११० ११०/१११ १११/११२
११३ ११३ ११४ ११४
४८
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