________________
२८२ ]
सुखबोधायां तत्त्वार्थवृत्ती करण्यमिति चेदुपगृह्य ते उपग्रहाविति कर्मण्यलो विधानात्ततो गतिस्थिती एवोपग्रही गतिस्थित्युप ग्रहाविति कर्मधारयः । धर्मश्चाधर्मश्च धर्माधमौं तयोर्धर्माधर्मयोः । अत्र करोतिक्रियायाः कर्तृत्वविवक्षया कर्तरि षष्ठीनिर्देशः । उपकारः कार्यमुच्यते । स चोपकारशब्दः कर्मसाधनः, कर्मणि पत्रो विधानात् । तस्य सामान्योपक्रमे एकवचननिर्देशः । धर्माधर्मयोः क उपकार इत्युक्त गतिस्थित्युप ग्रहाविति पश्चाद्विशेषसम्बन्धात् । अथवोपग्रहशब्दो भावसाधन-उपग्रहणमुपग्रह इति भावेऽलो विधानात् । तथोपकारशब्दोऽपि भावसाधन-उपकरणमुपकार इति भावे घनो विधानात् । तदा गतिस्थित्योरुप ग्रही गतिस्थित्युपग्रहाविति षष्ठीलक्षणस्तत्पुरुषः क्रियते। तर्हि भावस्यैकत्वादुपग्रहशब्दादेकवचनं प्राप्नो तीति चेन्न-गतिस्थितिभेदात्तद्भदसद्भावे द्विवचननिर्देशोपपत्तेः । स च द्विवचननिर्दशो धर्माधर्माभ्यां सह यथासङ्खयप्रतिपत्त्यर्थः । एकवचने हि सति यथा भूमिरेकैवाश्वादीनां गतिस्थित्योरुपग्रहे वर्तते
प्रश्न—सामान्याधिकरण्य कैसे हैं ?
उत्तर- "उपगृह्यते इति उपग्रहौ" इसप्रकार विग्रह कर कर्मणि अल् प्रत्यय आकर उपग्रह शब्द बना, पुनः गतिस्थिती एव उपग्रहो, गतिस्थित्युपग्रहौ" इसप्रकार का कर्मधारय समास ( सामान्याधिकरण्य ) हुआ है । धर्म अधर्म पदों में द्वन्द्व समास है। यहां पर करोति क्रिया के कर्ता की विवक्षा होने से कर्तरि षष्ठी विभक्ति "धर्माधर्मयोः" हुई है। कार्य को उपकार कहते हैं । वह उपकार शब्द कर्म साधन अर्थ में निष्पन्न हआ है, कर्मणि घा प्रत्यय आया है । उपकार सामान्य है अतः एक वचन का निर्देश किया है । धर्म अधर्म द्रव्यों का कौनसा उपकार है ऐसा पूछने पर गतिस्थित्युपग्रही ऐसा पीछे विशेष संबंध करना अथवा उपग्रह शब्द भावसाधन रूप मानना, “उपग्रहणमुपग्रहः" ऐसे भाव अर्थ में अल् प्रत्यय करना । उपकार शब्द भी भावसाधन है "उपकरणम् उपकारः" इसतरह भाव अर्थ में घञ प्रत्यय का विधान है । इसप्रकार दोनों शब्दों को भावसाधन रूप मानते हैं तो “गति स्थित्योः उपग्रहो" गतिस्थित्युपग्रहौ ऐसा षष्ठी तत्पुरुष समास करना चाहिये।
शंका-यदि उपग्रह शब्द भावसाधन है तो भाव एक रूप होने से उपग्रह शब्द एक वचन को प्राप्त होगा ?
समाधान-ऐसा नहीं कहना । गति और स्थिति के भेद से उपग्रह में भेद होता है अतः द्विवचन बनता है, वह द्विवचन निर्देश धर्म अधर्म के साथ क्रम से संबंध जोड़ने के लिये है। एक वचन करते तो क्या दोष आता है सो बताते हैं-जैसे भूमि एक