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________________ १९६ ] लौकिक मान | रसमान (प्तादि का माप) - मान 1 बीजमान ( धान्य का माप) - उम्मान (तुलादि) -अवमान (दण्डादि) - गणनामान (संख्या) -प्रतिमान ( रत्ति मासा भादि ) - तत्प्रमाण (घोड़े के मूल्यादि) जघन्य संख्यात संख्यात I I मध्यम उत्कृष्ट संख्यात संख्यात सुखबोधायां तस्वार्थवृत्तौ पल्य I संख्या प्रमाण I जघन्य द्रव्यमान जघन्य | उद्धारपल्य व्यवहारपल्य [रोमों की संख्या ] [ द्वीप समुद्रों का माप ] मध्यम द्रव्यमान I [ एक परमाणु ] [ द्विणुक धादि स्कंध ] जघन्य द्रव्यमान 1 मध्यम सागर उत्कृष्ट द्रव्यमान I [महास्कंध ] परीता संख्यात श्रद्धापल्य [कर्म स्थिति का प्रमाण ] | जघन्य उत्कृष्ट 1 मध्यम 1 सूच्यंगुल 1 श्रवगाह क्षेत्र जघन्य [ एक प्रदेश ] मान ' श्रसंख्यात 1 युक्ता संख्यात उत्कृष्ट I मध्यम 1 प्रतरांगुल
SR No.090492
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorBhaskarnandi
AuthorJinmati Mata
PublisherPanchulal Jain
Publication Year
Total Pages628
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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