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तृतीयोऽध्यायः
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लोकोत्तर मान
क्षेत्रमान
-
भावमान उपयोग ।
कालमान
कालमान
| निष्पन्न क्षेत्र
साकारोपयोग
अनाकारोपयोग
मध्यम [दो मादि
प्रदेश]
उत्कृष्ट- जघन्य
मध्यम उत्कृष्ट । [एक समय] [दो समय [मनंतानंत]
- जघन्य मध्यम
उत्कृष्ट [सर्व लोक]
मादि]
[सूक्ष्म निगोदी [एकेन्द्रिय प्रादि के [केवल ज्ञान] जीवका ज्ञान ज्ञानादि] दर्शन]
उपमा प्रमाण
अनंत
असंख्याता संख्यात
परीतानंत
युक्तानंत
अनंतानंत
जधन्य
मध्यम
उत्कृष्ट
जघन्य
मध्यम
उत्कृष्ट
उत्कृष्ट
जघन्य
मध्यम
उत्कृष्ट
घनांगुल
जगच्छणी
जगतप्रतर
घनलोक