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________________ तृतीयोऽध्यायः [ १८३ प्रसङ्गः। कथमन्यथा तत्र पूर्वकोट्यायुष्कत्वमन्यत्र चासङ्खये यवर्षायुष्कत्वमित्यागमो घटते ? उक्तासु भूमिषु नृणां प्रकृष्टाप्रकृष्टे के स्थिती भवत इत्याह नस्थिती परावरे त्रिपल्योपमान्तमुहर्ते ॥३८॥ नृशब्दो मनुष्यवाची । स्थितिरायुषोऽवस्थानम् । नृणां स्थिती नृस्थिती। परा प्रकृष्टा । अवरा जघन्या । परा चावरा च परावरे । पल्यं कुसूलः । पल्यमुपमा यस्य तत् पल्योपमम् । रूढिवशात्कश्चिन्मानविशेषः कथ्यते । त्रीणि पल्योपमानि यस्याः स्थितेः सा त्रिपल्योपमा । मुहूर्तो घटिकाद्वयम् । अन्तर्गतो मुहूर्तो यस्या असावन्तर्मुहूर्ता स्थितिः । त्रिपल्योपमा चान्तर्मुहूर्ता च त्रिपल्योपमान्तर्मुहर्ते । तत्र यथासङ्ख्यऽनाभिसम्बन्धः क्रियते-परा त्रिपल्योपमा नृस्थितिरपराऽन्तर्मुहूर्तेति । अत्र कश्चिदाहकिमिदं पल्यं नामेति । अत्रोच्यते-पल्यस्य परिच्छेदः प्रमाणविधिनिर्णयपुरस्सर इति प्रमाण विधिरेव उत्कृष्ट आयु होती है तथा पांच गुणस्थान होते हैं। मानुषोत्तर पर्वत के परले भाग से स्वयंभूरमण द्वीप के उरले भाग तक के मध्यवर्ती असंख्यात द्वीपों में संज्ञी तिर्यंच होते हैं उनके चार गुणस्थान होते हैं तथा आयु असंख्यात वर्षों की होती है। श्री भास्कर नंदी ने इस सैंतीस नंबर के सूत्र की टीका में अन्तरद्वीपज म्लेच्छ मनुष्य मरणकर चारों गतियों में जाते हैं ऐसा कहा है यह एक विशेष उल्लेख है । उक्त भूमियों में मानवों को उत्कृष्ट तथा जघन्य आयु कितनी है ऐसा प्रश्न होने पर सूत्र कहते हैं सूत्रार्थ-मनुष्यों की उत्कृष्ट आयु तीन पल्य की है तथा जघन्य आय अन्तर्मुहूर्त की है। न का अर्थ मनुष्य है। स्थिति का अर्थ आयु है । परा का अर्थ उत्कृष्ट और अवर का अर्थ जघन्य है। पल्य कुसूल को कहते हैं । पल्य जिसकी उपमा है वह पल्योपम कहलाता है। रूढ़िवश माप विशेष को पल्योपम कहते हैं। "त्रिपल्योपमा" में बहुव्रीहि समास है । दो घड़ी का एक मुहूर्त होता है । अन्तर्गत है मुहूर्त जिसके वह स्थिति अन्तर्मुहूर्त वाली है । तीन पल्य और अन्तर्मुहूर्त का यथाक्रम से संबध करना, मानवों की उत्कृष्ट आयु तीन पल्य और जघन्य आयु अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है। प्रश्न-पल्य किसे कहते हैं ?
SR No.090492
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorBhaskarnandi
AuthorJinmati Mata
PublisherPanchulal Jain
Publication Year
Total Pages628
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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