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________________ १६६ ] सुखबोधायां तत्त्वार्थवृत्ती उत्तरा दक्षिणतुल्याः ॥२६॥ उत्तरा मेरोरुत्तरदिग्भागवतिन ऐरावतादयो नीलपर्यन्ता उच्यन्ते । ते च दक्षिणैर्भरतादिभिस्तुल्या विस्तारादिभिस्समाना दक्षिणतुल्या इत्येवं वेदितव्याः । ऐरावतो भरतेन तुल्यः । शिखरी हिमवता तुल्यः । हैरण्यवतो हैमवतेन तुल्यः । रुक्मी महाहिमवता तुल्यः । रम्यको हरिणा तुल्य: । नीलो निषधेन तुल्य इत्यर्थः इयं च तुल्यता पूर्वोक्तसर्वह्रदपुष्करादीनामपि योज्या। उक्त षु क्षेत्रेषु यत्र मनुष्याणामुपचयापचयौ स्तस्तत्प्रतिपादनार्थमाह भरतैरावतयोवृद्धिहासौ षट्समाभ्यामुत्सपिण्यवसर्पिणीभ्याम् ॥ २७ ॥ भरतश्चैरावतश्च भरतैरावतौ । तयोर्भरतैरावतयोः । क्षेत्रयोरधिकरणनिर्देशोऽयम् । वृद्धिरुत्कर्षः । ह्रासोऽपकर्षः वृद्धिश्च ह्रासश्च वृद्धिह्रासौ। प्रत्येकं षट्समाः कालविभागा ययोरुत्सपिण्य विदेह के आगे के पर्वतादि कैसे हैं ऐसा प्रश्न होने पर सूत्र कहते हैं स्त्रार्थ-उत्तरवर्ती पर्वतादि दक्षिण के समान हैं । मेरु के उत्तर दिशा संबंधी ऐरावतादि नील तक के क्षेत्र और पर्वत 'उत्तरा' शब्द से ग्रहण होते हैं। वे दक्षिण संबंधी भरतादि के विस्तार आदि के समान हैं ऐसा जानना चाहिये । अर्थात् ऐरावत भरत के समान है । शिखरी हिमवत् पर्वत के समान विस्तार वाला है। हैरण्यवत क्षेत्र हैमवत के समान विस्तार युक्त है । रुक्मी पर्वत महाहिमवान के समान विष्कंभ वाला है। रम्यक क्षेत्र हरिक्षेत्र के समान है नील पर्वत निषध पर्वत के समान विस्तार वाला है । यह जो समानता है वह पूर्वोक्त सरोवर कमल आदि में भी लगाना चाहिये। - उक्त क्षेत्रों में से जिनमें मनुष्यों के उपचय अपचय [बुद्धि शक्ति आदि संबंधी] होते हैं उन क्षेत्रों को कहते हैं सूत्रार्थ-भरत और ऐरावत क्षेत्रों में छह काल विभाग वाले उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी द्वारा वृद्धि और ह्रास होता रहता है । भरत ऐरावत पदों का तथा वृद्धि ह्रास पदों का द्वन्द्व समास है। “भरतैरावतयो:" यह सप्तमी विभक्ति है । उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी में प्रत्येक में छह कालों का विभाग है उन काल विभाग द्वारा जो उपभोग आदि से वृद्धि स्वभाव वाली और
SR No.090492
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorBhaskarnandi
AuthorJinmati Mata
PublisherPanchulal Jain
Publication Year
Total Pages628
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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