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________________ तृतीयोऽध्यायः [ १५९ तन्निवासिन्यो देव्यः श्रीह्रोधतिकोतिबुद्धिलक्ष्म्यः पल्योपम स्थितयः ससामानिकपरिषत्काः ॥१६॥ तेषु पुष्करेषु कणिकामध्यवर्तिनः क्रोशायामाः क्रोशार्धविष्कम्भा देशोनक्रोशोत्सेधाः प्रासादाः सन्ति । तेषु निवसनशीलास्तन्निवासिन्यो देवता: श्रीह्रीधृतिकीर्तिबुद्धिलक्ष्मीसंज्ञिता: पद्मादिह्रदेषु यथासङ्घय सन्ति । पल्योपमा स्थितिरायुषोऽवस्थानं यासां ताः पल्योपमस्थितयः । समानं तुल्यमा इन हब प्रादि के प्रायामादि का दर्शक चार्ट लम्बाई चौड़ाई - गहराई कमल १ पद्म १००० ५०० यो | १००० यो. ४००० यो २०००यो । महापद्म । तिगिंछ केसरी महापुण्डरीक पुण्डरीक ४००० यो २००० । यो | कीति २००० यो १००० यो. १००० यो लक्ष्मी उक्त कमलों पर निवास करने वाली देवियों के नाम, जीवित काल तथा परिवार का कथन करते हैं सूत्रार्थ-उन कमलों पर श्री, ह्री, धृति, कीत्ति, बुद्धि और लक्ष्मी नामवाली देवियां निवास करती हैं, इनकी आयु एक पल्य की है तथा सामानिक और परिषत् जाति के देवों के साथ वहां रहती हैं। उक्त कमलों की कणिकाओं पर प्रासाद हैं, वे एक कोस लम्बे, आधे कोस चौड़े, पोन कोस ऊंचे हैं। उनमें निवास करने को शील-स्वभाव वाली वे श्री, ह्री, धृति, कीत्ति, बुद्धि और लक्ष्मी देवियां हैं। पद्म आदि सरोवरों पर ये देवियां क्रम से रहती हैं । "पल्योपम स्थितयः" पद में बहुब्रोहि समास है। वे सर्व ही देवियां एक पल्यकी
SR No.090492
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorBhaskarnandi
AuthorJinmati Mata
PublisherPanchulal Jain
Publication Year
Total Pages628
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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