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सुखबोधायां तत्त्वार्थवृत्तौ
जम्बूद्वीपलवणोदादय: शुभनामानो द्वीपसमुद्राः ॥ ७ ॥
शीतायाः पूर्वतो नीलगजदन्तपर्व तयोरन्तराले पार्थिवश्चतुः शाखः सपरिवार उत्तरकुरुमध्ये जम्वूवृक्षोऽस्ति । तेनोपलक्षितो द्वीपो जम्बूद्वीपः । लवणमुदकं यस्य स लवणोदः समुद्रः । तावादी
१३४ ]
नं० पृथिवी
१
२
४
३ वालुका प्रभा २८००० यो.
५
धो लोक संबंधी सात पृथिवी श्रादि का दर्शक चार्ट
बाहल्य [मोटाई ]
बिल
शरीर ऊंचाई
रत्नप्रभा १८००००० यो
७ धनुष ३ हाथ ६ अंगुल
६
शर्कराप्रभा ३२००० यो.
७
पंक प्रभा २४००० यो.
धूम प्रभा २०००० यो.
तमः प्रभा १६००० यो.
प्रस्तार
हातमप्रभ
१३
११
९
७
५
३
३००००००
२५०००००
१५०००००
१००००००
३०००००
९९९९५
१५ धनुष २ हाथ १२ अंगुल
५
३१ धनुष १ हाथ
६२ धनुष २ हाथ
१२५ धनुष
२५०धनुष
लेश्या
ज० कापोत
म० कापोत
- उ० कापोत
ज० नील
म० नील
उ० नील
ज० कृष्ण
म० कृष्ण
आयु उत्कृष्ट
उ० कृष्ण
१ सागर
३ सा०
७ सा०
१ 5000 $1.
५०० धनुष
अब तिर्यग्लोक का वर्णन करना चाहिये । द्वीप और सागर तिर्यग्रूप से अवस्थित होने के कारण यह तिर्यग्लोक संज्ञा वाला है अतः उन द्वीप समुद्रों का प्रतिपादन करते हैं—
१० सा०
१७ सा०
२२ सा०
३३ सा०
सूत्रार्थ – शुभनामवाले जम्बू द्वीप आदि द्वीप और लवणसमुद्र आदि समुद्र तिर्यग्लोक में हैं । शीता नदी के पूर्व में नीलकुलाचल और गजदन्त पर्वत के अन्तराल में पृथिवीमय चार शाखावाला परिवार वृक्षों से युक्त उत्तरकुरु भोगभूमि में स्थित