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________________ T मध्यमस्याद्वादरहस्ये यण्ड ३ विषय हारिभद्वावश्यकवृति भापारहस्यसंवादेन विचारविमर्शः दाद की आकाशगुण मानने में गाय वचननिगमः चिन्तामधिकृन्यतविरामः कारण है. | उद्धृतरूण मूतंप्रत्यक्ष का नहीं द्रव्यचाक्षुष का स्वाज्ञादी मिपाप्रशस्तपादभाष्यकृन्मतव्यपोहः इन्द्रियान्तराज्ग्राह्यग्राहकत्व इन्द्रियान्तरत्वव्यवभपक गुणान्तभावनेन्द्रियान्तरयस्थानीकारः तत्वार्थसिसंपादन] मधूपाकृन्मतनिरासः प्रचीन नानापों का दिसाधक अनुमान मीमांसाश्रोकार्तिककृन्मतापराकरणम् "क्रिया का आश्रम होने से शब्द द्रव्य शब्दस्य द्रव्यत्वं गीग्वानवकाशः द्रव्यपक्ष में गांव की आका और परिहार शब्द के चाक्षुप और स्पार्शन का परिहार मुक्तावलीकारविश्वनाथभङ्गवचनप्रतिक्षेपः शब्दस्य वीणादिगुणत्तनिंगमः दाद पवनगुण है नयमत गगनस्वराभियय नयमते सन्द पवनगुण नहीं स्वाहादी न्यायरत्नाकर मधुपाकृन्मतापादः मदनशब्दगुणन्याकरणम् स्पाद्वादी शब्दद्रव्यत्वबाधक हेतुपचाराकरण भनेकान्तवादनियतारम्भवावाङ्गीकारः शब्दाश्रय स्पर्शवान है प्रभसूरिप्रभूतिमत्प्रकाशनम् न्यायभाष्यकृद्वचनव्यपोह: वहिरिन्द्रियव्यवस्थापकपदर्शन शब्दस्य स्यर्शशून्याश्रयकत्वासिद्धिः प्राचेत भाविक का द्वितीय हेतु असिद्ध एवं व्यभिचारी मदतीसंवादः नैयायिक के तृतीय चतुर्थ हेतु भी व्यभिचारी स्वाद्वादकल्पलता संवाद: न हेतु स्वरुपाि दासबंधा नित्य है मीमांसक खण्डा उत्पादापरिचार एक तारत्य - मन्दत्वादिसमावेशसमर्थनम रिलाय नैवाधिकमत में व्यय की आशंका परार्थमालाकारमतप्रदर्शनम पुर ६९६ ६०० ६५.७ ६९४ ६५.५ ६१९५ हु०, ६९.६ ८१. ६०५ ६८ स्याद्वादी ६५९८ ६५९ ܘ ܘ ܪ ६०० ७: १७०९ ७०१ 926 -५०३ ७० ७०४ yo' 19544 ७०६ 5:9 195% 1 -3=6 ७०० ५० १ १० -५१० *y*% ७० 372 ७५५ ७४४ विषय मीमांसकमतिरोपदर्शनम् मनिपक्ष में गांव का परिवार अनित्यत्वपक्ष में गौरवप्रदर्शन मीमांसकमते कल्वस्यैव कार्यतावच्छेदकता क ख आणि एक की ह मीमांसकमते शब्दवस्व कार्यतावच्छेदकता बीमांसकमते गौरवास मीमांसक विजातीयासंयोग स्वतंत्र कारण है। शावरभाष्यसंवादः श्रवणादि गुणत्वादिप्रत्यक्ष में कारण मीमांसकाविदय स्फोटविचार: शब्द मन्द है नैयायिक मोमोस को मांशाप 'वीणायां शब्दः" इतिप्रनीतिविचारः शब्दस्थलेऽभिनवमीमांसा रघुनाथशिरोमणि शब्द चारक्षणरधारी नानाविधनाशकताविचार: परिष्कृतक्षणिकत्वनिरुकिः शिरोमणिनयनिराभिनवमीमांसा ७६६ ড? ७२८ विजातीयपोगका कार्यापदक श्रावणमीमांगक ७ कोलाहलस्थलीयश्रावणमीमांसा मीमांसकनरिय शब्द की भांति ज्ञानादि में चतुःक्षणस्थायित्व प्रसन साम्प्रदायिक अपात्यविशेषगुणनाशविचारः शब्द एवं नानादि की क्षणचतुकस्थायिता में प्रतिवन्ति • ज्ञानादः स्वोनगत्पन्नज्ञानादिनाश्यता नेपाषिक पृष्ठ و दिनकरभमतनिगमः नृसिंह पट्टाभिगम गदाधरमतयाननम् शब्द नित्यानित्य स्वाहाटी पाणिनिसूत्र न्यायभाष्य द्वारा वृदवृतिलघुन्यासादिसंवादः ७५८ لاو ७१० ७: ७२० ७२.१ را به ७२४ 9 १७०३ ७२३ ७५४ م به راه ७२.६ १२६ ७७ चरमशब्दनाशकताविचारः अस्वरसवजद्भावनम् यदि में खोजबर्निगुणनाव्यता की मीमांसा ७३ गमरुद्रभट्ट मतप्रकाशनम् -५३५ मुक्तावलीमा दिनकरीपवृमिनिगनः योग्यता एवं पिपलका निर्वाचन अपेक्षायुद्धिनाशविचारः विनिर्विकल्पक विनाशक मज्ञानादि स्वनाशक है स्वस्य स्वनाशकत्वमीमांसा नेपायिक SHA ५५ CES: ७३५ ७३३ ५३ ५६ ७४६ ११ ピン
SR No.090488
Book TitleSyadvadarahasya Part 3
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
Author
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size16 MB
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