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दहमीकहा
यरिहिं जणु जत्तहिं गयउ ताम । गउ जत्तरं सहु तेरे । या गुरुमत्तिएं मुणिवरासु । wer firefig - तियाय । आव ज वहु असंखु एहु । जवस पराय एक्कु एत्थ । fue आय पेक्es अरा कोउ । गय राहुति कोऊहले । पुच्छंतर जम्मंतरई ।
दुfears पणाes afणव भासइ जासु वि जाई रिंतर ॥ ८ ॥
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एहउ परमेसरु आउ जाम । जससेणु पराहिउ परियणे । तिलय मोहरि भज्ज तासु । ता संतरि सादियतणिय तरस्य । पुच्छिउ कि दीसह यरि खोहु । ता कारण विकहिउ तेत्थ । तहो चंदणमत्तिए जाउ लोउ ।
fure मेल्लिऊण । यत्ता-ता दिट्टज लोयउ पुरउ वइहउ
तो धम्मम्मो फतु विकेवि । तर तासु सुबु |
उम्मूलिउ जे भवतरुहु मूलु । भूलिउ यत्तय- भूसणेण । frase महिय तहि अवसरेण ।
पुच्छहि वयदाराहि अराए वि । अवलोय मुणि चूरिज सतत जिं
मगहर | तिसूलु । तक्खऐस !
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ऐसे परम मुनीश्वर के आनेपर नगर निवासियों की उनके दर्शनके लिए यात्रा प्रारम्भ हो गई। राजा जयसेन अपने अन्तःपुर एवं परिजनों सहित यात्राको निकले। उनकी वनतिका नामक मनोहर मार्या भी बड़ी भक्ति सहित मुनिवरके समीप आयी । इसी बीच वह विजकन्या दुर्गन्धा भी घास लकड़ी लिये हुए बहींसे निकली । उसने लोगों से पूछा "नगर में इतनी हलचल क्यों हो रही है और वनकी ओर ये असंख्य लोग क्यों आ रहे हैं । तब किसी ने उसे बतलाया कि वहाँ एक यतिवर आये हैं और उन्होंकी वन्दनाके लिए लोग भक्ति सहित जा रहे हैं। और की तो बात ही क्या, स्वयं राजा भी उनके दर्शनके लिए आया है। यह बात सुनकर उस द्विजकन्याको मी कौतूहल हुआ और वह अपना भार वहीं छोड़कर बनकी और चल पड़ी । वहाँ पहुँचकर उसने देखा कि वहाँ बहुत लोग बैठे हुए हैं और वे अपने-अपने जन्मान्तरकी बातें पूछ रहे हैं । मुनि महाराज जिस किसीसे बोल लेते हैं उसके निरन्तर पापका विनाश हो जाता है ॥ ८ ॥
वहाँ कोई मुनिराजसे धर्म और अधर्मका फल पूछ रहे थे, तो अन्य कोई व्रत और दानका फल जानने की इच्छा कर रहे थे। इसी बीच दुर्गन्धाने वहाँ पहुँचकर और उनकी सब बातें सुनकर मनोहर मुनिवरकी ओर देखा । वे मुनिराज सामान्य नहीं थे । उन्होंने अपने संयम और तपके प्रभावसे भव रूपी वृक्षके मूलको नष्ट कर दिया था और त्रिशूल-सा चुभने वाले मिथ्यात्व माया और निदान इन तीनों शल्योंको चूर-चूर कर दिया था । वे दर्शन, ज्ञान और चारित्र इन तीनों रत्नोंसे विभूषित थे। मुनिराजपर दृष्टि पड़ते ही दुर्गन्धा उसी समय मूच्छित होकर पृथ्वीपर गिर पड़ी। मुनिराजने उसे अपने समीप मँगा लिया और गोपीर रससे उसका सिंचन कराया। वह क्षण भरमें सचेत हो गई ।