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________________ सु .मी कथा पृ० १३ चित्र १६ उज्जयिनी में सुदर्शन मनि का उपदेश नीले रंग की पृष्ठभूमि पर उद्यान में एक और लाल वस्त्रों से आच्छादित गुरु बैठे हैं । उनके सम्मुख चार भक्त हाथ उठाये व जोड़े उनकी वन्दना कर रहे हैं। भक्तों में दो के अंगरखे लाल, एक का हरा तथा एक का अधोवस्त्र हरे रंग का है। चारों की पगड़ियों के रंग व रचना भिन्न है । प्राकार ६४५ इंच । पृ० १४ चित्र २० रानी का मुनिदर्शन, पूर्व-भव स्मरण और मूर्छन तथा राजा का मुनि से प्रश्न __ नीले और बैंगनी रंग की पृष्ठभूमि पर उद्यान में एक प्रोर सुदर्शन मुनि बैठे हैं । उनके दर्शन से रानी को अपने पूर्व भवों का स्मरण हुअा और वह मूछित होकर भूमि पर गिर गयो । मुनि के सामने राजा अपने दो अनुचरों के साथ उसके भवान्तरों के विषय में पूछ रहे हैं । मुनि का रंग श्वेत और राजा के अंगरखे व पगड़ी का रंग लाल है। उसके अनुचर हलके बैंगनी और नीले रंग के वस्त्र पहने हैं। तीनों की पगड़ियां लाल हैं। नीचे दांयी ओर के कोने में मोर-मोरनी के चित्र हैं । राजा के पूछने पर मुनि ने दिव्य वाणी से रानी के पूर्व जन्मों की ऋमिक कहानी बतायी, जिसे सुनकर राजा को प्राश्चर्य हुआ, और राजा ने उस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा । प्राकार ६१४५३ इंच। पृ० १५ चित्र २१ विद्याधर का आगमन नीले रंग की पृष्ठभूमि पर विमान-स्थित विद्याधर । उसके सामने प्राकाश में चन्द्रकला लिखी हुई है । नीने कई वृक्षों से भरा उद्यान है। उस में बैठे हुये मुनि, राजा मंत्री और रानी को सुगंधदशमी का उपदेश दे रहे हैं। राजा का वेश हरे रंग का, मंत्री का लाल रंग का और रानी का पीले रंग का है, जिस पर काली रेखाओं से चौखाना बनाया गया है । प्राकार १४६ इंच । पृ० १७ चित्र २२ ___ राजा-रानी को सेठ जिनदास और सेठानी का अभिवादन राजा-रानी ऊंचे प्रासन पर बैठे हैं, और सामने से जिनदास और उनकी पत्नी अभिवादन कर रहे हैं । आसन से नीचे धरातल में एक पलाना घोड़ा बना है। चित्र में राजा का महल और मंडप दिखाये गये हैं। पृष्ठ भूमि का रंग गहरा बैंगनी व निचले भाग का पीला है । राजा का अंगरखा हलके बैंगनी रंग का, रानी का घाघरा हरा काली धारियों वाला और चोली पीली लाल धारियों वाली है। सेठ का अंगरखा लाल, पीले बंदकों सहित व सेठानी का घाघरा लाल व हरी चोली तथा प्रोढ़नी बैंगनी रंग की है।
SR No.090481
Book TitleSugandhdashmi Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1966
Total Pages185
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Biography
File Size5 MB
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