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चित्र-परिचय ] पृ० १० चित्र १४
रानी ने मरकर घड़ियाल का जन्म लिया नीले रंग की पृष्ठ भूमि में सरोवर और उसके पीछे बैंगनी रंग की पृष्ठ भूमि में उद्यान दिखाया गया है। सरोवर में मछली, कछुआ और घड़ियाल दिखाये गये हैं। प्राकार ५३४२३ इंच ।
पृष्ठ १० चित्र १५
रानी ने मरकर सांभर की पापयोनि में जन्म पाया नीले रंग की पृष्ठ भूमि पर उद्यान का चित्रण, जिसमें पांच वृक्ष हैं । बीच के वृक्ष का रंग हलका हरा और शेष का गहरा हरा और पीला है। सांभर का रंग भी पीला है । प्राकार ५३४३ इंच ।
पृ० ११ चित्र १६
रानी ने दुर्गन्धा चाण्डाल कन्या का जन्म पाया हरपीजीले रंग की पृष्ठभूमि पर दो साल के इश हैं । बीच में एक भीमकाय चांडाल कन्या है, जो हाथ में कुल्हाड़ी लिये एक व्याघ्र पर प्रहार कर रही है। उसका शरीर गहरे बैंगनी रंग का है। वह लाल रंग की चोली और पीले रंग का जांघिया पहने है । व्याघ्र का रंग पीला और धारियां लाल और बंदके काले हैं। प्राकार ६४४१ इंच ।
पृ० ११ चित्र १७
बुर्गन्धा के विषय में गुरु से शिष्य का प्रश्न नीले रंग की पृष्ठभूमि पर दो वृक्षों वाले उद्यान का चित्रण है । दांयी ओर श्रुतसागर मुनि बैठे हैं । सामने उनका शिष्य खड़ा है, और पापिनी चांडाल कन्या के विषय में पूछ रहा है । गुरु और शिष्य दोनों का शरीर बैंगनी रंग का है। गुरु का प्रासन लाल रंग का है । प्राकार ६४४ इंच ।
पृ० १२ चित्र १८
चाण्डाल कन्या का मुनि-दर्शन और धार्मिक भाव नीले रंग की पृष्ठभूमि में एक उद्यान है । वृक्ष के नीचे मुनि और उनके शिष्य खड़े हैं। एक ओर चांडाल कन्या हाथ जोड़कर मुनि की वंदना कर रही है। गुरु-शिष्य का शरीर श्वेत रंग का और चांडाल कन्या का बैंगनी रंग का है । चांडाल कन्या के पीछे जंगल से लाई हुई लकड़ियों का गट्ठर है। मुनि ने चांडाल कन्या के पूर्व जन्म का वृत्तान्त कहा और उसने व्रत धारण किये । प्राकार ७४६ इंच।