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[ सुगंधवश्मी कथा पृ० १ चित्र-१
श्री जिनेन्द्र देव लाल पृष्ठभूमि के ऊपर श्वेत और पीले रंग के चित्र, बीच में पद्मासन में तीर्थकर, और उनके ऊपर तीन छत्र, जिनसे काले फुदने लटकत दिखाये गये है। जिन भगवान् के दाहिनी और बांयी ओर दो पाचचर सेवक हैं, जो लम्बे पीले रंग के अंगरखे पहने है । उनके सिर पर पगड़ी और कमर में काला पटका बंधा है । एक के अंगरखे पर काली बुंदकियां और दूसरे पर काली धारियां हैं। मूल के अनुसार वे चामरग्राही मुद्रा में हैं। प्राकार ५३४५ इंच । पृ० २ चित्र २
शारदा देवी नीली पृष्ठभूमि पर लाल रंग की साड़ी पहने हंस वाहन पर चतुर्भुजी भगवती शारदा का चित्र है । वे दो हाथों में वीणा लिये हैं, तीसरा हाथ वीणा के तारों पर है, और चौथा ऊपर को उठा है। उनके पीछे चामर ग्राहिणी मुद्रा में अनुचरी है, जिसके बायें हाथ में प्रारती है । सामने लाल रंग का चोगा पहने एक पुरुष उनकी आराधना कर रहा है । आकार ४४५ इंच । पृ० २ चित्र ३
गुरु द्वारा भक्तों को सुगंध दशमी कथा का उपदेश एक मंडप के नीचे धर्म गुरु ऊंचे प्रासन पर विराजमान हैं। उनके श्वेत शरीर पर हरे रंग का वस्त्र और पीछे पीले रंग का बड़ा तकिया है। वे धर्मोपदेश मुद्रा में है । सामने दो भक्त अंजलि मुद्रा में घुटने मोड़कर बैठे हुए उपदेश सुन रहे हैं । एक लाल तथा दूसरा हरा अंगरखा पहने हैं। एक का वर्ण श्वेत तथा दूसरे का काला है। मंडप के ऊपर गहरे बैंगनी रंग में आकाश का चित्रण है। धर्मगुरु का प्रासन भी इसी रंग का है । प्राकार ४४५ इंच। पृ० ३ चित्र ४
वाराणसी के राजा पद्मनाभि और उनकी पत्नी श्रीमती
षट्कोण भवन में मंडप के नीचे राजारानी गद्देदार ग्रासनों पर बैठे हैं । चित्र की पृष्ठभूमि बाहर गहरे नीले और भीतर हलके हरे रंग की है । प्रासन का रंग बैंगनी है। राजा का अंगरखा हलके बैगनी रंग का तथा रानी की साड़ी लाल रंग की है । रानी की चामरग्राहिणी पीले रंग के वस्त्र पहने है । मंडप के ऊपर कलश है, जिस पर सुनहली बंद किया हैं । चित्र के निचले भाग में तीन परिचारिकायें जल भरने के लिये घट लेकर आयीं हैं । दाहिनी ओर की पृष्ठभुमि बैंगनी और बांई ओर की नीली है । दासियों के घाघरे और चोलियों व प्रोदनी में लाल, गहरे हरे और पीले रंगों का प्रयोग हुया है। प्राकार ८४५ इंच ।