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स पापो ध्वंसते मार्गान्मोहो दुर्गतिदायकः ॥२॥ कामक्रोधकषायादानन्तरङ्गपरिग्रहान् । योऽत्र न्या.
संसारी सोऽस्ति संगतः |सतृष्णो कर्म बध्नाति धृत्वाशामणमात्रिकाम् । मोक्षमार्गे यते | सैव करोति भववन्धनम् ॥६४|संग च द्विविधं त्वक्त्वा धृत्वा पंचमहानतम् । गृहन्ति चे पुनर्वस्त्रं भ्रष्टास्ते मोक्षमार्गतः 118| गृहीत्वा जिनलिङ्गच धृत्वा पञ्चमहानतम् । पुनर्वाकरति संग स भवाब्धी मजति ध्रुवम् ॥६॥ नास्ति कर्मक्षयस्तेषां वनसंगधरारमनाम् । वस्त्रत्यापि च दुर्मोहः संसारस्यैव वर्द्धकः ।।यात्राणार्थ स्वशरीरस्य वसञ्चापि | धरति ये । व्यामोहमोहितास्ते म्युर्मोक्षमार्ग भजन्ति न III मुनिर्ममत्वचेतस्कः स्वाहिताजस्यते ध्रुवम् । यतो ममत्व. भावेन वस्त्रं धत्ते ततो हि सः निर्ममत्वं हि चित्ते ते विद्यते नैव वा यदि महाबवेन तेनात्र यते कि हि प्रयोजन
६ लोभसे राग उत्पन्न होता है, रागसे संसार बढ़ता है और संसारसे निरंतर दुःख होता रहता है ॥९१।।
इस परिग्रहके मोहके कारण जो पापी मन और इंद्रियोंके विपर्योकी आशाको बढ़ाता है, वह मोक्षमागसे | भ्रष्ट होता है, सो ठीक ही है; क्योंकि मोह ही दुर्गतिका कारण है ॥९२॥ जो मनुष्य इस परिग्रहके
मोहसे काम, क्रोध बादि कषायरूप अंतरंम परिग्रहोंको धारण करता है, वह उन परिग्रहोंके ही कारण दीर्घ LE) संसारी गिना जाता है ॥९३।। जो अणुमात्र मी आशा धारणकर तृष्णा करता है, वह कर्मोंका बंध करता है।
यह आशा मोक्षमार्गमें लगे हुए मुनिको भी संसारका बंधन कर डालती है ॥९४॥ जो अतरंग, बाह्य दोनों
प्रकारके परिग्रहोंका त्याग कर महाव्रत धारण कर लेते हैं और फिर वस्त्र धारण कर लेते है, उन्हें मोक्षमार्गसे र भ्रष्ट समझना चाहिये ।।१५।। जो जैनेश्वरी दीक्षा धारणकर पंचमहाव्रतोंको धारण कर लेता है और फिर
भी परिग्रहोंकी आशा रखता है, वह इस संसाररूपी समुद्रमें अवश्य बता है ॥९६|| जो वस्त्र वा अन्य परिग्रहको धारण करते हैं, उनके कर्मोंका क्षय कमी नहीं हो सकता । क्यों कि वस्त्रोंसे मोह करना मी संसारको |
ही बढ़ानेवाला है ॥९७॥ जो मुनि होकर भी अपने शरीरकी रक्षाके लिये वस्त्रादिक धारण करते हैं, उनको | व व्यामोहसे मोहित समझना चाहिये । ऐसे लोग मोक्षमार्गको कभी धारण नहीं कर सकते ॥९८॥ बोहनि |
होकर मी अपने हृदयमें ममत्व धारण करते हैं, वे अपने आत्माके हितले भ्रष्ट समाने जाते हैं, क्योंकि K/ ममत्व परिणामोंसे थे लोग अपने शरीरपर वस्त्र धारण अवश्य करते हैं ॥९९॥ हे मुने! यदि तेरे |