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सु०प्र०
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ईत्सु भाषितम् । जिनागमस्य चार्थ हि वान्यथा कुरुते कुधीः ॥शा सुर्मिकचन देटि संगलोभाष सज्जनम् । हिताहितं न जानाति पापं चर्रात दारुणम् |३॥ संगलोभात्कुशालहि सम्यक् पठति भावत: । ततो मिथ्यामति कस्वा लुम्पत्येन जिनागमम् ४ा हा हा संगत्य लोभेन निर्मिमीते नवं मतम् । व्यभिचारे दुराचारे सद्धर्म सत्र भाषते ।।८। अनीति मनुते नीतिमन्यायं भ्यायमिच्छति । संगलोभेन तत्सर्व कुरुते स्वार्थलिप्सया ॥८६॥ व्यामोइकारणं संगलोभोऽस्ति प्राणिनां खलु । भूकछी करोति दुर्भाव दुर्गतिहातमोति सः ॥७॥ तस्मात्सर्वप्रबलेन संगमूर्धा त्यजेद्ध धः। लोभः संगस्य कर्तव्यो नात्र प्राणच्युतैरपि ।। संगो हि द्विविधः प्रोक्तो बाह्याभ्यन्तरभेदतः । संगो हिसर्वया त्याज्यो मुक्त्याफानिममहात्मना | (IEE चिन्ताभावो निरारम्भी भवेनिःसंगतो मुवि । आकुलत्वेन नश्येत निसंगाकिन्न जायते ||६|| ममत्वाजायते लोभो लोभाद्रागोऽभिवर्द्धते। रागावेच संसारस्ततो दुःखं निरन्तरम् ||१|| मनोऽक्षविषयाण हिवाशां धने विमोइतः । विपरीत कर डालता है ॥४२॥ इस परिग्रहके ही लोभसे धार्मिक सज्जन पुरुषोंसे द्वेष करता है, तथा इस परिग्रहसे ही अपने हिताहितको नहीं समझता और महापाप उत्पन करता है ॥८॥ इस परिग्रहके ही लोभसे कुशास्त्रोंको भावपूर्वक अच्छी तरह पढ़ता है और उन कुशास्त्रोंके पढ़नेसे मिथ्या मुद्धि धारणकर | | जिनागमका लोप करता है ।।८४॥ हाय हाय ! देखो, इस परिग्रहके ही लोमसे नवीन मतोंका निरूपण करता है और उनमें व्यभिचार वा दुराचारको ही श्रेष्ठ धर्म बतला देता है ॥८५।। देखो, यह जीव परिग्रह के ही लोभ और अपनी स्वार्थ-वासनासे अनीतिको नीति समझ लेता है और अन्यायको न्याय समझ लेता है ॥८६॥ यह परिग्रहका लोभ मोहका कारण है, अशुभ परिणामोंका कारण है, समस्त प्राणियोंको मूलित कर देता है और दुर्गतियोंका कारण है ।।८७॥ इसलिए बुद्धिमानोंको सबतरहके प्रयत्न करके इस परिग्रहके मोहको छोड़ देना चाहिये और इस परिग्रहका लोम प्राणनाश होनेपर मी नहीं करना चाहिये ॥८८|| इस परिग्रहके बाप आभ्यंतरके मेदसे दो भेद हैं, मोक्षकी इच्छा करनेवाले महात्मा पुरुषोंको इन दोनों प्रकारके परिग्रहोंका सर्वथा त्यागकर देना चाहिये ॥८९॥ इस परिप्रहका त्यागकर देनेसे ही चिंताका अभाव हो जाता है, आरंभोंका अभाव हो जाता है और आकुलताका नाश हो जाता है, सो ठीक ही है। क्योंकि X परिग्रहका त्याग कर देनेसे कौन कौनसे गुण प्रगट नहीं होते हैं । ॥१०॥ ममत्व परिणार्मोसे लोभ पड़ता है,