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| ननु ॥४२॥ तिर्यजनरामराकारं रूपं यदृश्यते बहिः । तदाकागे न तपमहमस्मि स्वभावतः ॥४३नाई जडो न वा शन्यो न शरीरमयं कचित् । नाई वर्णमयो वेति चिन्तयेति मुहुमुहुः ।:४४|| नाई मूर्तिमयो कापि खीरूपोहं न वा कचित् । नाई पुमान् नया भोचा चितयेति मुहमुहुः॥४५॥न में मृत्युर्न में जन्म शरीरं मे कदापि न। न मे पुत्रं न मे मित्रं कलत्रं न धनं गृहम् ।।६।। क्रोधादीनि विकाराशि वाञ्च्छा तृष्णा न मे कधित् । शुद्धस्फटिकसंकाशनिर्मलोई स्वभावतः ४७ वर्णातीतो रसातीत: स्पर्शातीतो विरोधकः । शब्दातीतश्चिदानन्दमयोइं कर्मदूरगः ॥४८॥ विवुध्येत्थं स्वकं रूपं स्वात्मानमपि तत्वतः। तस्माच्छरीरतो भिन्नं स्वात्मानमवधारय रहा जहा इमे शरीरापा अनन्याश्च
सन्ति ते । कर्मयोगेन संप्राप्ताः दुःखदा नश्वरा भवे ॥५०॥ भ्रमात्तानात्मरूपोहं मन्ये रज्जुमहिं यथा। आत्मबोधाद् || भ्रमे नष्टेमृतॊहं कर्महानितः ।।५१॥ अनादिकालते मोहान्मिध्याज्ञानं हि मेऽजनि । तेनायावधि पर्यंत तत्त्वं मातं
जाय ऐसा उपाय कर ॥३१-॥४२॥ तिर्यञ्च मनुष्य वा देवका आकार जो बाहरसे दीखता है नह आकार और नह सा मेहरा स्वाभानिस नहीं है ॥४३॥ न मैं जद हूँ, न शून्य हूं, न शरीररूप हूँ और न
वर्णरूप है, इस प्रकार वार बार चितवन करना चाहिये ।।४४॥ मैं न मूर्त हूँ, न स्त्रीरूप हूँ और न पुरुष हूँ तथा | PAIन में भोक्ता हूँ। हे आत्मन्! तू इस प्रकार बार बार चिंतन कर ॥४५॥ न तो मैं मरता हूँ, न मैं जन्म लेता - ा हूँ, यह शरीर भी मेरा कभी नहीं हो सकता तथा ये पुत्र मित्र धन घर आदि भी मेरे नहीं हो सकते ॥४६॥ ये
क्रोधादिक विकार मेरे कभी नहीं होसकते और न वाञ्छा वा तृष्णा ही मेरी होसकती है। मेरी आत्मा स्वभावसे ही शुद्ध स्फटिकके समान निर्मल है ॥४७॥ मैं वर्णरहित हूँ, रसरहित हूँ, स्पर्शरहित हूँ, गंधरहित हूँ, और शब्दरहित हूँ । तथा कोंसे मिन्न चिदानन्दमय हूँ ||४८॥ हे आत्मन् ! इस प्रकार अपने आत्माका स्वरूप समझ और वास्तवमें अपने आत्माको शरीरसे भिन्न समझकर अपने आत्माके स्वरूपका चितवन कर ॥४९॥ ये शरीरादिक जड़ है, अचेतन हैं, दुःख देनेवाले हैं और नश्वर हैं तथा इस संसारमें | कर्मके निमित्तसे मुझे प्राप्त हुए हैं। परंतु अपने भ्रमसे उनको आत्मरूप मान रहा हूँ। जैसे भ्रमसे रस्सीको | मी सर्प मान लेते हैं । परंतु अब जब कि आत्मज्ञान होनेपर मेरा भ्रम नष्ट हो गया है तब मुझे मालूम हुआ है कि कर्म नष्ट होनेपर मैं अमूर्तस्वभाव ही हूँ ॥५०-५१।। अनादि कालसे लगे हुए मोहनीय कर्मके उदयसे |
PAKHAROHARYANA
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