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घर स्वस्मिन् खस्वभाषमनास्ति सः ॥पा यो ज्ञातं शक्यते नैव पाझन्द्रियादिभिः सदा । स्वानुभूत्या च यो गम्यः पर.
मात्मा स एव च ।।६।। अज्ञानिनो हि त झातुं शक्नुवन्ति कहाणि न । एललिभिः नाम रिदयन्दमो हि सः ॥१०॥ Hel
योगिनां पानगम्यः स सुदर्शा ज्ञानचक्षुषाम् । स्वदेहे एष सलीनोप्यमूर्तो हि स्वव्यतः ॥११॥ यद्यपि योगिगम्योस्ति ध्यानगम्योस्ति वा मनु । स्वसंवेदनप्रत्यक्षस्तथापि भवति स्वयम् ॥१शा निर्विकल्प निराचा चिन्मूत सुखसागरम्। स्वात्मानं : हि सुमावेन पश्यन्तु स्वानुभूतितः ॥२॥ मातेस्मिनिखिलं ज्ञातं दृष्टे रष्टं जगत्त्रयम् । तं ज्ञानमय शुद्ध पश्यन्तु शुद्धमापनः ॥१॥ आराधनामयं योगी चैकान्टे निर्जने बने । मनोवाकार्य संभ्य मौनी चिंतयति स्फुटम् ॥१५॥ ययान| वनपावेन हत्या कर्मकदंषकान् । स्वात्मीयां सिद्धिमात्मैव लभते नात्र संशयः ||१६|एतादृशं हि चात्मानं स्वसंवेदनगोR और वैभाविक गुण प्रगट हो जाते हैं सो ठीक ही है कौकी गति भी बड़ी ही गहन होती है ॥७॥ द्रव्या
| थिंक नयसे यह आत्मा शुद्ध चैतन्यस्वरूप है, लोक अलोकको प्रकाशित करनेवाला है, अनंतशक्तिको धारण व करनेवाला है और अपने स्वभावमें लीन रहनेवाला है ॥८॥ जो बाह्य इन्द्रियोंसे कमी नहीं जाना जा सकता * और जो स्वानुभूतिसे ही जाना जाता है वही आस्मा परमात्मा कहलाता है ॥९॥ अज्ञानी पुरुष उस परमात्मा
को जाननेमें कमी मी समर्थ नहीं हो सकते । वह चिदानन्दमय आत्मा सम्यग्दृष्टियों के द्वारा ही जाना जा
सकता है ।।१०।। यद्यपि यह जीव अपने शरीरमें रहता है तथापि द्रन्यादिक नयसे अमूर्त है और ज्ञानरूपी | नेत्रोंको धारण करनेवाले सम्यग्दृष्टि योगियोंके ध्यानके द्वारा जाना जा सकता है ॥११॥ यद्यपि यह आस्मा | योगियों के द्वारा जाना जाता है तथापि यह स्वयं स्वसंवेदन प्रत्यक्ष होता है अर्थात् अपने आत्मज्ञानके द्वारा प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होता है ।।१२।। यह आत्मा विकल्परहित है, निरायाध है, चैतन्यस्वरूप है और सुखका | समुद्र है ऐसे अपने आत्माको श्रेष्ठ भावोंसे स्वानुभूतिके द्वारा देखना चाहिये ॥१३॥ इस आत्माके जान S लेनेपर समस्त पदार्थका ज्ञान हो जाता है, और इसको देख लेनेपर तीनों लोक दिखाई पड़ जाते हैं। | ऐसे दर्शन और झानमय शुद्ध आत्माको शुद्ध भावोंसे ही देखना चाहिये ॥१४॥ ऐसे आराधनास्वरूप | शुद्ध आत्माको मौन धारण करनेवाले योगी किसी एकांत निर्जन वनमें मन, वचन और कायको रोककर चितवन करते हैं ॥१५॥ यही आत्मा ध्यानरूपी वनके घातसे समस्त कमीका नाशकर अपने मात्माकी सिद्धिको