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तथा । भयविस्मरणक्रोधमानादीनि च संत्यजेत् ॥ ५६ ॥ शरीरकंपनं नेत्रपरिस्पदं च जृम्भणम्। वेपथु' डोलनं द्दिकां प्रमादं छर्दनं तथा ॥ ५७॥ प्रलापर्क च खापं च हास्य नृत्यं च मत्तताम् । परिवादो वित्रादोऽय मंडनं वर्जनं तथा ॥२८॥ अङ्गोपाङ्गासिंकोचद्धनं कामचिन्तनम् । सम्मोहनं च लिङ्गादिस्थूलीकरणकं तथा ॥५६॥ श्रार्तरौद्रकरी चिन्तां रोषं शीलप्रभञ्जनम् । इत्यादिकक्रियां सर्वा ध्यानकाले विसर्जयेत् ||६० || मनः संरुध्य संकल्पविकल्पादीनि संत्यजेत् । कौतुकादिकुचेष्टां च सर्वाशां वा त्यजेत्सुधीः ||६१ || निश्चलत्वं स्थिराभ्यासं शांति चित्तप्रसन्नता । परीपहसहिष्णुत्वं स्थिरचित्तं निराकुलम् ||६२ || वैराग्यभावसम्पत्तिः विषयत्याग एव च । कषायानामभावो हि धैर्य हान्त्यज्ञम्बनम् ||३३|| इत्यादिकशुभा चेप्टा क्रिया कार्या मुमुक्षुभिः । ध्यानकाले हि सर्वेषां कर्मणां जयसिद्धये ॥ ६४॥ पूर्वाशाभिमुखस्तत्र चोत्तराभिमुखस्तथा । ध्यानकाले तदा ध्याता सिष्ठेत् सुस्थिरभावः ||१५|| ईर्यापथं समुचार्य प्रति
त्याग कर देना चाहिये ॥ ५६ ॥ शरीरको कम्पायमान करना, नेत्रोंको बार बार स्पंदन करना, जंभाई लेना, काँपना, हिलना, छींकना, प्रमाद वमन, प्रलाप, निद्रा, हँसी, नृत्य, उन्मत्तता, वाद-विवाद, मंडन, वर्जन, अंग-उपांगोंका संकोच वा विस्तार करना, कामका चिन्तवन करना, मोहित होना, लिंगादिकका स्थूल करना, आर्तरौद्रको उत्पन्न करनेवाले चितवन, क्रोध और दुःशीलका चितवन आदि समस्त क्रियाएँ ध्यानके समय छोड़ देनी चाहिये ॥ ५७-६० ।। बुद्धिमान् मुनियोंको अपना मन रोककर सब तरह के संकल्प-विकल्पों का त्यागकर देना चाहिये । तथा कौतुक, कुचेष्टा और सब प्रकारकी आशाओंका त्याग कर देना चाहिये ॥ ६१ ॥ मोक्ष की इच्छा करनेवाले साधुओंको समस्त कर्मोंको जीतने के लिये ध्यानके समय निश्चल रहना चाहिये स्थिरताका अभ्यास करना चाहिये, चित्तको शांत और प्रसन्न रखना चाहिये, परिषदोंको सहन करना चाहिये, feast feeकुल और स्थिर रखना चाहिये, वैराग्यभावनाकी संपत्ति धारण करनी चाहिये, विषयवासनाका सर्वथा त्याग कर देना चाहिये, कषायोंका त्याग कर देना चाहिये तथा धैर्य और क्षमाको धारण करना चाहिये | ध्यान करते समय साधुओं को इन सब शुभ क्रियाओंको करना चाहिये ॥ ६२-६४ || ध्यान करनेवाले साधुको ध्यानके समय स्थिर चित्त होकर पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर सुखकर बैठना चाहिये ॥६५॥ सबसे पहले ईर्यापथ-शुद्धिका पाठ पढ़ना चाहिये, प्रतिक्रमण पाठ पढ़ना चाहिये, दंडक पाठकी
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