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भा.
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विवर्जिते । इत्थंभूते गृहादौ वा ध्यानं कुर्याद्विचक्षणः ॥७॥म्जेक्षाधमनरैर्जुष्टं दुष्टभूपालसेवितम् । महामिथ्यात्वसंयुक्तजनैः | RI संसेवितं तथा || यहूपद्रवसंन्याप्तै: क्रूरैः शौच सेवितम् । भूतप्रेतपिशाचादिस्थानं वाधाकरं परम् ।।६॥ दुर्गादिदेवतास्थानं
युद्धस्थानं भयानकम् । पलमूत्रादिसंव्याप्तं दुर्गध मलिन तथाना मनःक्षोभकरं स्थानं चाक्षव्यामोहकारकम् । बाधिव्याधिकरं ती दुष्टवायुप्रसारितम् ||११॥ दुर्भिक्षण महारूदं हिंसास्थानं विनिंदितम् । एवं हि कुत्सितस्थानं ध्यानकाले त्यजेत्सुधीः ॥१सा दुःस्थानं वात्र मोक्तव्यं साधुना ध्यानमिच्छना । यतो हि कुत्सितस्थाने ध्यान न स्यात्कदापि वा ॥१३॥
निकृष्टे पंचमे काले भरतेऽध्यार्यदशके । जातितंशविशुद्धेऽपि नापमहाननं भवेत् me आयसंहननामावे शुक्लध्यानमपीह न । परीषदोपसर्गादिजयोऽपि न भषेकदा ॥१॥ तीन तपोऽपि नैवात्र मनःशुद्धिन
करना चाहिये ॥५-७|| जो स्थान म्लेच्छ और अधर्मी पुरुषोंसे भरा हुआ है, दुष्ट राजा जिसपर राज्य कर रहार है, तीव्र निध्यात्वसे भरे हुए लोग जहां निवास कर रहे हैं, जो स्थान अनेक उपद्रवोंसे भरा हुआ है, | जहांपर क्रूर और मदोन्मत्त लोग निवास करते हैं, जो स्थान भूत प्रेत वा पिशाचोंका स्थान है, जो
अनेक वाधाओंको उत्पम करनेवाला है, जो दुर्गा आदि देवियों का स्थान है, जो युद्धका भयानक | स्थान है, जो स्थान मलमूत्रसे भरा हुआ है, दुर्गधसहित और मलिन है, जो स्थान मनको घोभित | करनेवाला है, इन्द्रियोंको मोहित करनेवाला है, अनेक मानसिक वा शारीरिक रोगोंको उत्पन्न करनेवाला है, जहां की वायु दुष्ट है, जो स्थान तीव्र है, जो दुर्मिक्षिताके कारण महारूया है, जो हिंसाका स्थान है, वा जो निंदनीय स्थान है; ऐसे ऐसे जितने कुन्सित स्थान हैं, वे सत्र ध्यानके समय बुद्धिमानोंको छोड़ देने चाहिये | 11८-१२॥ अथवा ध्यानकी इच्छा करनेवाले साधुओंको नीच और अशुभ स्थानोंका अवश्य त्याग कर | देना चाहिये। क्योंकि कुलित वा निधनीय स्थानमें कभी ध्यान नहीं हो सकता ॥१३॥
हम निकृष्ट पश्चम कालमें तथा भारतक्षेत्रके आर्य देशमें जाति और कुलसे विशुद्ध मनुष्योंके भी पहलेके | उत्तम संहनन नहीं होते । तथा पहलेके उत्तम संहननोंके न होनेसे शुक्लध्यान भी नहीं होता तथा परिपहोंका
जीतना और उपसर्गोका जीतना मी कमी नहीं होता ॥१४-१५|| हीन संहनों के कारण तीव्र तपश्चरण मी | Hel नहीं होता और मनकी शुद्धि भी अच्छीतरह नहीं होती, तथा हीन संहनन धारण करनेवालोंका मन मी |