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रागद्वपादिशत्रवः ||| रागः स्यायत्र तत्रैव द्वषोऽपि सुतरां भवेत् । यस्मादेको हिरागोऽस्ति शत्रुर्धर्मविलुंठकः हा हा चात्मत्रवस्था ते चेदृशी भविता कथम् । यया रार्ग समुत्पाद्य त्वं परान हंसि मुह्यसि ॥१०॥ वध्यते कर्मरागेा रागेशैव च संसृतिः । जन्ममृत्यु भयक्लेशानां रागो मूलकारणम् ।।११।। हा हा रागेण जीवोऽयं श्वभ्र गच्छति दुःखदे। पर्यटति च संसारे जन्ममृत्युभयात्मके ।१२। इन्ति प्राणिगणं शश्वदन्यायं विद्धाति च 1 घोरं पापं करोत्यात्मा रागेणैवातिविह्वलः ॥१शा संसारकारणं रागो विरागो मोक्षकारणम् रागेण कर्मबन्धः स्याद्विरागेय विमोक्षणम् ॥१४॥ दयासत्यक्षमाब्रह्मसंयमादिकसद्गुणाः। रागेणैव पलायन्ते दुर्गणा यान्ति सत्वरम् ॥१५॥ मोहचूर्ण करे धृत्वा रागो जोवान प्रमूर्छयन । वेगात पातयति श्वभ्रे ऽनन्तदुःखनिदानके ॥१६॥ जीवः कर्माणि बध्नाति रागद्वषेण सन्ततम् । रागढ पौ प्रकुर्वाते चित्तभ्रान्तिननात्मक ॥१७।। चावतोऽशाश्च रागस्य वर्तन्ते ते हृदि स्फुटम् । तावन्तः कर्मबन्धानां संबन्धास्ते | भ्रमण कर रहा है । ये राग-परूपा शत्रु से महामोहरूपी अग्निमें डालकर सदा भस्म करते रहते हैं ।।८।। जहांपर राग होता है, वापर उप अपने ही आप हो जाता है। इसलिये कहना चाहिये कि धर्मको नाश करनेवाला यह एक राग ही परम शत्र है ।९:। हा हा, हे आत्मन् ! तेरी यह अवस्था कैसे हो गई है जिससे कि तू 18 राग-द्वेष उत्पन्नकर अन्य जीवों की हिंसा करता है और उसमें मोहित होता है ॥१०॥ इस रागसे ही कर्मों का बन्ध होता है सगसे ही संसारकी वृद्धि होती है और जन्म, मरण, भय आदि केशोंका मूल कारण यह राग ही है ॥११॥ हा! हा !! रागकेही कारण यह जीव महादःख देनेवाले नरक में जाता है और रागके ही कारण जन्म, मरण और भयसे भरे हुए इस संसारमें परिभ्रमण करता रहता है ॥१२॥ रागके ही कारण विहल हुआ | यह जीव अनेक प्राणियोंका घात करता है, सदा अन्याय करता रहता है और सदा घोर पाप करता रहता है
॥१३॥ यह राग संसारका कारण है और वैराग्य मोक्षका कारण है । रागसे कोका बंध होता है और वैराग्यसे ! काँका नाश होता है ।।१४ा दया, सत्य, क्षमा, ब्रह्मवर्य और संयम आदि जितने श्रेष्ठ गुण हैं; वे सब रागसे
ही भग जाते हैं और इनके विपरीत सब दुर्गुण शीघ्र ही आ जाते हैं ॥१५|| यह राग मोहरूपी चूर्णको हाथपर रखकर अनेक जीवोंको मूर्षित करता हुआ अनन्त दुःख देनेवाले नरकमें बहुत शीघ्र पटक देता है ॥१६॥ यह जीव राग-द्वेषसे ही सदा काँका बंध करता रहता है । ये राग-द्वेष दोनों ही आत्मासे मिम