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________________ सप्तमोऽधिकारः तब सूर्य अस्ताचल को प्राप्त हुआ। मानों वह अन्याय को देखने में समर्थ नहीं हो । सच में जो यहाँ महान होते हैं, वे बुरी नीति से पराङ्मुख होते हैं ।। ४४ ।। तब कमलिनियों ने अपने कमल रूपी नेत्रों को संकुचित कर लिया। भूमि पर अपने बन्धु का वियोग दुस्सह है ॥ ४५ ।। सूर्य के अस्त हो जाने पर वहाँ आकाश में चारों ओर अन्धकार का समूह विस्तार को प्राप्त हुआ । सचमुच, यह मलिनों का स्वभाव है ।। ४६ ।। ___तब सर्वत्र गोलाकार ताराओं का समूह आकाश से सुशोभित हुआ । वह ताराओं का समूह आकाश रूपी लक्ष्मी के प्रिय, महान, सुन्दर मुक्ताहार के समान था ।। ४७ ।। तेल युक्त तथा उत्तम वाती से युक्त अन्धकार को नष्ट करने वाले घर-घर में सुमनोहर दीपक सुशोभित हुए, अथवा घर घर में सुमनोहर, स्नेह युक्त, अच्छी दशा सहित, अन्धकार को नष्ट करने बाले सुपुत्र सुशोभित हुए ॥ ४८ ॥ अनन्तर संसार को बढ़ाने वाले भोगी लोग प्रसन्न होकर अपने-अपने घरों में स्त्रियों सहित नाना भोग विलासों में रत हो गए ।। ४९ ॥ वहाँ पर योगी मुनि ध्यान में तत्पर हुए। स्वात्म तत्व में प्रवीण वे संसार को नष्ट करने वाले थे ।। ५० ॥ __ अनन्तर सुविस्तीर्ण आकाश में अपनी कान्ति से अन्धकार को नष्ट करने वाला, परम उदय वाला चन्द्रमा स्पष्ट हुआ 11 ५१ ।। वह लोगों को परम आह्लादित करने वाले निर्मल जैनबादी की तरह मिथ्यामागं रूपी अन्धकार के समूह का विनाश करने में अत्यधिक समर्थ था ।। ५२ ।। इस प्रकार तब लोगों के अपने-अपने कार्य में लगने पर अगत्रि में चन्द्रमण्डल के मन्दता को प्राप्त होने पर, जहाँ पर वह महाधीर श्री परमेष्ठी का ध्यान करते हुए स्थित थे, वहां पर कालरात्रि के समान उन्मत्ता पण्डिता पुनः आ गई ।। ५३-५४ ।। कायोत्सर्ग में लीन, सुनिश्चल उन्हें प्रणाम कर पुनः बोली-जीवों के प्रति तुम्हारा दयाधर्म तीनों भुवनों में विख्यात है ।। ५५ ।। अतः कामरूपी भूत से ग्रस्त, चातको जिस प्रकार मेघ के आगमन को उत्तम इच्छा करती है, उसी प्रकार तुम्हारे आगमन को उत्तम इच्छा को करती हुई उसे शीघ्र आकर सुखी करो। हे वणिपति ! आज ही तुम्हारा ध्यान सफल हुआ ।। ५६-५७ ।। सु०-८
SR No.090479
Book TitleSudarshan Charitram
Original Sutra AuthorVidyanandi
AuthorRameshchandra Jain
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size4 MB
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