SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जो सुख चाडो भाइयो, तज दो त्रिष को वेल | पर में निज की कल्पना, यही जगत का खेल ।। हिन्दी अनुवाद सहित ** NER ४३ जीव जीवन तुम वालहा रे लो, अवर न नाम खमाय रे वालेसर । पश्चिम रवि नवि उगमे रे लो, जलधि न लोपे सीम रे वालेसर। सती अवर इच्छे नहीं रे लो, जां जीवे तां सीमरे वालेसर जाव. राणा के स्पष्ट शब्दों से मयणासुन्दरी के हृदय को बड़ा आघात पहुँचा | उसकी आंखों से टप टप आंसू बहने लगे। किन्तु उसी क्षण उसे एक नई चेतना मिली, उसके हृदय ने कहा - जगत् के इतिहास में खियों के लिये कितने युद्ध छिड़, रक्त की नदियां बहीं । छल कपट के नाटक खेले गए । आज भी आए दिन काम-वासना की तृप्ति के लिए नर पिशाच मानव क्या नहीं करते ? गणा ! आप धन्य हैं ! आप स्वार्थी कामी कीट नहीं किन्तु नारी हृदय की गतिविधि के मर्मज्ञ एक आदर्श मानव हैं। आपको निस्पृह उदार भावना पर मेग यह जीवनधन निछावर है। मैं आपके चरणकमलों की दासी हूँ। . लिया है आप को वर मैंने, तुम्ही अब प्राण प्यारे हो । आपही आराध्य हो मेरे, न म इस मन से न्यारे हो । आप प्राणेश मरे है, आपको सिर झुकाऊँगी । बजा कर हृदय की तन्त्री. आपके गुण गान गाऊँगी ।। प्राणनाथ ! आपका संकेत इस दासी को अपनी मां की शरण जाने का है। यह एक बड़ी बुरी खटकने वाली बात है। हृदय विदीर्ण हुए जाता है । पतिसेवा से मन चुरा कर जगत् के भौतिक पदार्थों की चटकमटक पर ललचाना, स्वच्छंद आचारण करना सभारियों के लिये एक महान् अपराय है। कलंक है । विश्व की सब शक्तियों, कर्तव्य से मुंह मोड़ लें। प्रकृति की ऋतुएं सभी अपने नियम को छोड़ दें । फिर भी पति को छोड़ सती किमी और को भज सकती नहीं। प्राण तज सकती है पर, पति का संग तज सकती नहीं ।। प्राणनाथ ! आर्य ललनाएं पति को सेवा में रह दुःख को भी सुख ही मानती हैं। सुखदु ख वस्तु में नहीं, मान्यता में है। मानव एक श्रीमन्त की मोटर, लाखों का भव्य भवन, देख, हीरे की अंगुठी, उसकी सुन्दर वेशभूषा चटकमटक देख कर अपने भाग्य को कोसता है। किन्तु
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy