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तुझे अपना भाग्य ही परखना है ?
श्रीपाल-रास पृष्ठ ४०
-रास
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मम्राट् प्रजापाल को आवेश में देख राजकुमारी मयणासुन्दरी ने मुस्कराते हुए कहा । पिताश्री । कन्या कहाँ ! देना ? यह तो उसके माता पिता की इच्छा
पर ही निर्भर है किन्तु उसका भविष्य उसके हाथ नहीं ।