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________________ हिन्दी अनुवाद सहित Ketk R A ) श्रीपाल-रास का हिन्दी अनुवाद और विवेचन लेखक :मुनि श्री न्यायविजय जी महाराज साहित्य रत्न, काव्य तीर्थ, ज्योतिष विशारद का उपसंहार प्रिय पाठकों मैंने लिखा, अनुवाद श्रीपाल-रास का। *पादलिप्त में संपन्न हुआ, यह मार्ग दर्शक मोक्ष का / / आठ दस दो महसू विक्रम, माघ की यह पूर्णिमा / गदि कुछ भूल हा उत्सूत्र हो, भगवान से मांगू क्षमा / / साथ ही अनुरोध मेरा, प्रिय पाठकों से एक है। संभव है इस अनुवाद में भूलें रही अनेक है / हंस वृत्ति से कुछ सारले, पाठक पढ़े अति प्रेम से / मैं आभार मानूंगा सदा, दे मिध्या दुष्कृत हृदय से // अभिमान राजेन्द्र कोष लेखक, सूविर गजेन्द्र थे / सौधर्म-गण बृहत्तपा में, धन चंद्रसूरि भूपेन्द्र थे / मैं शिष्य सूरि यतीन्द्र का यह उनका आशीर्वाद है। मुनि न्याय का यह हिन्दी में, श्रीपाल का अनुवाद है। * पादलिप्त इस समय पालीताणा जिला भावनगर के नाम से प्रसिद्ध है | यहाँ सदा बड़ा दुर दूरसे सैंकड़ों हजारों यात्राल बा आकर श्रीसिद्धगिरिराज शत्रुजय महातीर्थ की यात्रा करते हैं।
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
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