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________________ आत्म भ्रांति सम गंगा नहीं', सद्गुरु वैद्य सुजाण । गुरु आज्ञा सम पथ्य नहीं औषध विचार ध्यान ! हिन्दी अनुवाद सहित 65 5 55७४ श्रेणिक उद्देशी कहे, नवपद महिमा वीर । नवपद सेवी बहु भविक, पाम्या भवजल तीर ।.११॥ आराधन- मूल जस, आतम भाव अछेह । तिणे नवपद जे आतमा, नवपद मांहे तेह ॥१२॥ ध्येय सभापति हुए, ध्याता ध्यान प्रमाण । तिण नवपद छे आतमा, जाणे कोई सुजाण ॥१३॥ लही अमंग क्रिया बले, जस ध्याने जिण सिद्धि । तिणे तेहq पद अनुभव्यो, घट मांहि सकल समृद्धि ॥१४॥ भगवान की सेवा में:-मगध सम्राट् श्रेणिक श्री गौतम गणधर को बिदा दे अपने राजमहल की ओर लौट रहे थे उगमस्य नक नागवान ने राजा को सिर झुका कर कहा, नाथ ! आज अपने चाग में एक दिव्य अशोक वृक्ष के नीचे अनेक देवताओं ने एक भव्य समवसरण की अति सुंदर रचना की है, उसके चारों और सुगंधित जल फूलों की वृष्टि कर देव देवांगनाएं फूली नहीं समातीं । समवसरण के मध्य एक रत्न पीठ पर पूर्वाभिमुख श्री श्रमण भगवान महावीर देव विराजमान हैं। उनके सिर पर तीन छत्र हैं ! भगवान के दंनों और इन्द्र चवर ले खड़े हैं । आकाश में देवदंदभो का शब्द मुन दूर दूर से अनेक देव, देवी, नर-नारियां, पशु-पंखी भगवान को बदन करने आ रहै हैं । कृपया आप भी भगवान की सेवा में पधारें। भगवान का शुभागमन सुन सम्राट श्रेणिक आनंदविभोर हो गए | उन्होंने संवाददाता को विपुल धन दे निहाल कर दिया। पश्चात् वे वहाँ से अपने महल की ओर न जा कर उसी समय उलटे पैर वे समवसरण में पहुंचे और भगवान को चंदन कर अपना आसन ग्रहण किया। भगवान महावीरः- "मनो साहस्सिओ भीमो दुइसी परिधावई" राजन ! मानव का मन एक अति दुष्ट भयानक साहसिक वायुवेग घोड़े के समान है। इस निरंकुश मन को साधे बिना मानव खड़ा सूख जाए फिर भी उसका कहीं ठिकाना नहीं। इस चंचल मन पर विजय पाना है ? हाँ, तो अपने आप को को-भोक्ता न मानो, समभाव से अपने उदय में आगत शुभाशुभ कर्मों को भोग कर नवीन आस्रवों से सतत बचने का प्रयत्न करी। आज से अपने हृदय में यह दृढ़ निश्चय कर लो कि दूध और घी के समान नवपद और आत्मा दोनों अभिन्न हैं । " नवपद छै आत्मा नवपद माहे तेह "-इस गूढ़ रहस्य को समझ अनेक मानव भवसागर से पार हो परम पद को प्राप्त
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
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