SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 321
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैसे नदी बह जाती है और लौटकर नहीं आती, उसी तरह रात और दिन मनुष्य की आयु ले कर चले जाते हैं । ३०८ ॐ- % RGASCHASHMA श्रीपाल राम है ? हां ! ओ आप आज ही प्रति-दिन सुबह चार बजे अपना बिछोना त्याग करने का प्रण कर, भगवत भजन करना आरंभ कर दें। प्रातः जल्दी उठने से शरीर और मन बड़ा स्वस्थ, प्रसन्न रहता है । Early to bad carly to rise, Makes a man healthy wealthy and wise. सुबह जल्दी उठने और रात को जल्दी शयन करने से मानव स्वस्थ, धनवान और विद्वान् बनता है। सूर्योदय के बाद देरी से उठने वाले स्त्री पुरुष सदा रोती सूरत और सुस्त रहते हैं, उनसे लक्ष्मी और सरस्वती रुष्ट हो अपना मुंह मोड़ लेती है । दिन चड़े उठने से शरीर में आलस और स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है । अतः प्रातःकाल जल्दी उठकर भगवत् भजन और अध्ययन करना मानव के लिये सोने में सुगन्ध है । पवित्र स्खोः -रात को बढ़ी देर तक बिजली, ग्यास आदि के तेज प्रकाश में काम करना नेत्र और शारीरिक स्वास्थ्य के लिये बड़ा ही घातक है | मानव को रात्रि में लगभग दस बजे तो सो ही जाना चाहिए, छः घण्टे से अधिक नींद न लें । सोने समय मन को दुर्वासनाओं से अलग कर दें। यह मन-वानर बड़ा चंचल है, नींद में न मालूम कहाँ इधर-उधर भटकता रहता है । मानसिक चंचलता एक अभिशाप है । आयुर्वेद-आचार्यों का अभिप्राय है कि वीर्य की एक बिंदु का भी अपव्यय-दुरुपयोग न होने दो। अपने मन और विचारों को सदा पवित्र रखो । वीर्य उत्पत्ति की प्रक्रिया का बार-बार चिंतन मनन करो वीर्य कैसे बनता है ? :-आप जो भोजन करते हैं, उसका प्रति *पांच-पांच दिन के अन्तर से रस, रक्त, मांस, मेद, हड़ियाँ और मज्जा बनती हैं । पश्चात् निरर्थक पदार्थ मल-मूत्र आँख, कान का मैल पसीना नख केश आदि के रूप में बदल कर अन्त में क्रमशः तीस दिन चार घण्टे में वीर्य बनता है। यह प्रक्रिया-विधि आपके शरीर में चन्द्र-सूर्य के समान सदा दिन-रात, रात-दिन चलती ही रहती है अर्थात् चालीस ग्रास भोजन से एक बूंद रक्त और चालीस बून्द रक्त से एक बूंद वीर्य बनता है। एक तोला वीर्य की क्षति मानव के आधा सेर ४० तोले रक्त के दुरुपयोग के समान है। अतः महापुरुषों ने हमें अन्य व्रत-नियमों की अपेक्षा इस बात पर अधिक जोर दिया है कि ब्रह्मचर्य का पालन कर अधिक से अधिक वीर्य का संचय करो, स्वस्थ बलवान बनो ! एक ही बीर्य की विन्दु में नव लाख जीवों की हिंसा होने की संभावना रहती है। निर्बल मानव इस भूतल पर भार भूत है । * कई वैद्यों का मत है कि वीर्य निर्माण की क्रिया में क्रमशः सात सात दिन का अन्तर रहता है।
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy