________________
____ अहंकार का नाश करके जिन्होंने आत्मानन्द प्राप्त किया है उन्हें और क्या पाना बाकी रहता है। ३०६ -
श्रीपाल रास ब्रह्मचर्य का विनाश आपका विनाश है। ब्रह्मचर्य की रक्षा आपके जीवन की सुरक्षा है । मानव क्षणिक विषय की लोलुपता-वश अपने पैरों पर कुठाराघात कर बैठता है। अनेक व्यक्ति ऐसे हैं जिन्होंने बचपन में क्षण भर के लिये अपना सर्वनाश किया, आज वे प्रत्यक्ष जो कुछ कमाते हैं वह चुपचाप डाक्टर-वैद्यों को अर्पण कर दिन-रात आंसू बहाते हैं। णमो बंभवय धारिणं,
-" भगवान महावीर" वीर्य ही आपकी हड्डियों का सत्न है, मम्तक का भोजन है, जोड़ों-संधियों का तेल है। वास की मधुरता है। अगर आप को संसार में आकर कुल करना है, चार दिन जीना है तो पहले अपने वीर्य की रक्षा करो। -"डॉ. मेलवील कीच एम. डी."
जननेन्द्रिय, पाकस्थली और मस्तिष्क, तीनों का आपस में सम्पन्ध है . एक रोगी होने से दूसरे भी बचते नहीं । ब्रह्मचर्य से सदा तीनों निरोग रहते हैं। –'डॉ. जी. एन. बिपर्ट"
जगत में सुख और शांति स्थापित करने के लिये स्त्री और पुरुष दोनों को नियमित ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये ।
-"मिस्टर टाल्सटाय" मानव जीवन का सार वीर्य है।
-"डॉ. पी. डी. हार्नसाव, वीर्यवान के लिये ही संसार है । ब्रह्मचारी ही जगत् को जीत सकता है। – सत्यदेवजो" ___ अतः आज से आप अपने मन में दृढ़ संकल्प कर लें कि मैं विशेषरूप से अपने वीर्य की रक्षा कर ब्रह्मचर्य का पालन करूंगा। संकल्प करने से आपकी विचारधारा बदलते देर न लगेगी। वासनाओं की तृप्ति और परिवार का कल्याण होगा । आपकी प्रत्येक मनोकामनाएं सफल होंगी। सच है, जैसे बीज बोओगे वैसा ही फल पाओगे । प्रतिदिन सुबह और सायंकाल किसी शांत स्थान या अपने बिछोने से उठ कर भूमि पर मौन बैठ कर भगवान से प्रार्थना करो ।
आज का दिन मंगलमय हो:- (१) हे प्रभो! आज मैं परायी स्त्री, छोटी को बहिन और बड़ी को मां की दृष्टि से देख, ब्रह्मचर्य का पालन करूंगा। आज का दिन मेरे लिये मंगलमय हो । (२) हे देव ! मेरी इन्द्रियों के घोड़ों को कुवासना के पथ में बढ़ने न दो, मेरी रक्षा करो, मुझे बल, साहस और विवेक प्रदान करो। आज का