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सवेरे से शाम तक काम करके आदमी इतना नहीं थकता, जितना कोच या चिंता से एक घण्टे में थक जाता है। २८२%EHIKRANSFER-RASH * श्रीपाल रास
___ मंत्री मतिसागर ने अजितसेन के समय की प्रजा की सारी कठिनाईयों को दूर करने के लिये कुवर के हाथों से शुभ मार्ग में अपार धनराशि व्यय करवा कर उनका नाम चमका दिया। सौभाग्यशाली श्रीपालकुवर की सदा जय हो ! जय हो !! मंत्री
और नगरसेठ हों तो ऐसे हों। उत्सव चैत्य अगइयौ रे लाल, विरचाये विधि सार रे सो. । सिद्धचक्रनी पूजा उदार रे सो. करे जाणी तम उपगार रे सो. ॥ तेनी धर्मी सह परिवार रे सो. धर्मे उल्लसे तस दार रे, सो. जय० ॥८॥ चैत्य करावे तेहवारे लाल, जेह स्वर्ग शुं मांडे वाद रे, सो. । विधुमंडल अमृत आस्वाद रे सो. ध्वज जीहे लिये अविवाद रे सो.॥ तेणे गाजे ते गुहिरे नादरे, सो.मोड़े कुमतिना उन्माद रे, सो. जय० ॥९|| पड़ह अमारी वजाबिया रे लाल, दीधा दान अनेक रे, सो. । साचविया सकल विवेक रे, सो. समकितनी सखी टेक रे, मो. ॥ न्याये गम कहायो ते छेक रे,सो.ते राज हंसवीजा मेक रे सो.जय० ॥१०॥ अचरिज एक तेणे कर्यु रे लाल, मनगुप्त गृहे हुता जेह रे, सो. । कर्णादिक नृप ससनेह रे, सो, छोड़ाविया संघला तेह रे सो. ॥ निज अद्भूत चरित अछेह रे सो. देखावी निज गुण गेह रे सो.जय० ॥११॥ श्रीपाल प्रताय थी तापियो रे लाल, विधि शयन करे अरविन्द रे, सो.। करे जलधि वास मुकुंद रे, सो. हर गंग धरे निसपंद रे, सो. ।। फरे नाठा सूरज चन्द रे, सो. अरिसकल करे आनंद रे, सो. जय० ॥१२॥ तस जस छे गंगा सारिखो रेलाल, तिहाँ अरि अपजस सेवाल रे, सो. । कपूर मांहे अंगार रे, सो. अरविंद मांहे अलि बाल रे, सो. ॥ अन्य-अन्य संयोग निहाल रे, सो. दिये कवि उपमा ततकाल रे, सो. ॥१३॥
विकास की ओर :-श्रीपालकुंचर के हाथ में चंपा का शासन आने के बाद __नगर में जनता के कई आपसी मन मुटाव, झगड़े-टन्टे सहज ही निपट गए । उनकी