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सज्जन का क्रोध क्षण भर रहता है, साधारण आदमी का दे। घण्टे, नीच आदमाकर एक दिनरात
और पापो का मरते दम तक। २८. SHREENAMEC
धोपाल रास कर कंकण ना रणकार रे सो. पग झांझरना झमकार रे सो.॥ कटि मेखला खलकार रे सो. वाजे मादलना धौंकार रे सो. ज. ||४|| सकल नरे सर तिहां मली रे लाल, अभिषेक करे फरी तास रे सो.। पितृ पट्टे थापे उल्लास रे सो. मयणा अभिषेक विशेष रे सो० ॥ लघु पढ़े आठजे शेष रे मो. सीधो जे कीधो उद्देश रे सो. ज. । ५॥
नगर-प्रवेश:-आज वर्षों के बाद अपने विजयी सम्राट् श्रीपालकुंवर का शुभागमन सुन जनता हर्ष से आनन्द विभार हो उठी । नागरिकों ने अपने घर-आंगने को अशोक और केल के पत्तों से सजाया, द्वारों पर मणि-मुक्ता के झाला-तोरण लटकाए । नगर में चारों और प्रमुख राज्यमार्ग में सोने-चांदी के रत्नजड़ित स्तम्भों से अच्छे कलापूर्ण स्वागत द्वार बनाए । उन पर मणि माणिक्य पद्मनील मणि की वंदन वारें लटकाई, स्थान स्थान पर बहुमूल्य रेशमी रंगबिरंगे वस्त्रों से विश्रामगृह बनाए, देखते-देखते उत्सव का एक पारावार उमड़ आया । चित्र-विचित्र वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जि नरनारियों की मेदिनी सम्राट श्रीपालकुंचर का स्वागत अभिनन्दन अभिवादन करने को नगरउद्यान की ओर चल पड़ी। शहनाईयां ढोल नगाड़े और दुदमियों के तुमुल घोष से आकाश गूंज उठा ।
सम्राट श्रीपालकुंवर के दर्शन होते ही नन्हीं बालिकाएं और तरुण युवतियों ने अक्षत (चांवल) कुंकुम मुक्ता और हरिद्रा (हल्दी) से चौक पूरकर बड़े मधुर स्वर में मंगल-गीतों से उनका स्वागत किया।
चंपानगर के भव्य प्रसादों पर लहराती रंग-बिरंगी ध्वजा-पताकाएं झुक झुक कर कुंवर का अभिनंदन कर रहीं थीं। गजराज पर स्वर्णखचित हाथीदांत की अम्बाड़ी में मणि-छन के नीचे बैठे श्रीपालकुंवर मधुर मुस्कान के साथ जनता का अभिनन्दन, अभिवादन स्वीकार करते आगे बढ़ते जा रहे थे। मार्ग में नगर भवन, छज्जे, अटारी और झरोखों से उन पर अक्षत कुंकुम गंध-चूर्ण और पुष्यमालाओं की वर्षा होने लगी | उनके साथ सुन्दर रेशमी वस्त्रालंकारों से सुशोभित नटियों के भूभंग, हावभाव, रूप-सौंदर्य और माधुर गीत सुन जनता आश्चर्यचकित हो गई । नगर की महिलाओं के सिर पर वर्णकलशों से टकराती रत्न की चूड़ियों की ध्वनि कमर के कंदोरों में लगे धुंघरू और उनके पैरों के पायल, नू पुरों की झंकार सुन ब्रह्मदेव
भी देखते रह गये। अरे : इन महिलाओं का सर्जन क्या मेरे हाथों से हुआ है ? __ इनके आगे तो इन्द्र की परियों भी पानी भरती हैं । मुझे तो आज पता चला !