SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 277
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ त्यागे संकल्प अन्य मुमुक्षु, करे आस्म यिवार । यिन बिना शाम्पत सुस्त पा ले, शत ग्रंथन को मार ।। २६४ ** * ** ****** श्रीपाल रास केई छेदे शरे अरि तणां शिर सुभट, आवता केई अरिबाण झाले । केई असि छिन्न करि कुंभ मुक्ता फले, ब्रह्मरथ विहग मुखग्रास घाले ॥चं.॥११॥ मद्य रस सद्य अनवद्य कवि पद्य भर, बंदि जन बिरुद थी अधिक मिया । खोज अरि फोजनी मोज धरीनविकरे, चमकभर धमकदइ माहीसिया |.१२। बाल विकराल कस्वाल हत सुभट शिर, वेग उच्छलित रवि गहु माने । धूलिधोरणी मिलित गगन गंगा कमल, कोटि अंतरित स्थ रहत छाने चं..१२ केई भट भार परि सीस परिहार करी, रण रसिक अधिक जूझे कवधे। पूर्ण संकेत हित हेत जय जय रखे नृत्य मनु करत संगीत बद्धे ॥ चं. ॥१४॥ भूरि रणतूर पूरे गयण गड़गड़े, स्थ सबल शर चकचूर भांजे । वीर हक्काय गय हय पुले चिहं दिशे,जे हुवे शूरतस कोण गांजे ॥चं.॥१५|| तेह खिण मां हुई, रणमही घोर तर, रुधिर कर्दम भरी अंत पूरी । प्रीति ईई पूर्ण व्यन्तरतणा देवने, सुभटने होंश नवि म्ही अधूरो ।।.॥१६॥ देखी श्रीपाल भट भांजियु सैन्य निज, उठवे तव अजित सेन राजा। नाम मुझ सखवो जोर फरी दाखवी, सुभट विमल कुल तेज ताजा ॥चं.॥१६॥ होड़ ले रहे थे:-श्रीपालकुंवर को ज्ञात हुआ कि राजा अजितसेन की सेना ने हमारी सेना पर धावा बोल दिया है। फिर तो उन्हें आक्रमण करने वालों को ईट का जवाब पत्थर से देना अनिवार्य था। प्रधान सेनापति को कुंवर का आदेश मिलते ही उनके वीर योद्धागण जय सिद्धचक्र ! जय सिद्धचक्र !! जयघोष के साथ उसी समय मैदान में कूद पड़े । हाथी से हाथी, घोड़े से घोड़े, रथ से स्थ, पैदल सेना के साथ पैदल सेना का प्रलयकारी महाभयंकर युद्ध छिड़ गया । चतुरंगिणी सेना के तुमुल युद्ध से उड़ती धूल, तीखे बाणों की बरसात से सहज ही आकाश में अन्धकार छा गया । मानों जैसे असमय में काले बादल ही उमड़ उमड़ घिर न आये हो ! योद्धाओं की आपस में टकराती तलवारें और भाले कभी कभी मूर्य की किरणों के प्रकाश से सावन-भादों में चमकती बिजली से दीख पड़ते थे। तोपों से बरसते बम-गोले, प्रलयकार संदेश गर्जते बादलों से होड़ ले रहे थे। ऐसा मालूम होता था, मानों कहीं ब्रह्मांड फट न पड़े । विषैले अमि-बाण
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy