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________________ ज्ञान से ही समुन्नति, जग शिखर पर जा चढ़े। है ज्ञान का माहात्म्य अनुपम, ज्ञान देने से बढ़े।। २३६ - ॐ श्रीपाल रास समशाने लई जाती जाणी, तहां पहोंतो नरनाह रे । वि० । कहे दाखो मुझ हं सम करूं, मूर्छित ने म दियो दाह रे ॥ वि. ली. ॥१४॥ महियत मूकी ते थानके, करी हार नमण अभिषेक रे। वि. । सज करी सवि लोकना चिन शृं, थई वेठी धरिय विवेक रे ॥ वि. ली. ||१५|| महसेन मुदित कहे राजियो, वत्स तुजने ए शुं होत रे । वि. । जो नावत ए बड़भागियो, न करत उपगार उद्योत रे ।। वि. ली. ॥१६॥ तुझ प्राण दिया छे एहने, तू प्राण अधिक छे मुझ रे । वि. । एहने तु देवी मुझ घटे, ए जाणे हृदयनो गुंझ रे ॥ वि. ली. ॥१॥ स्निग्ध मुग्ध दृग देखतां, एम कहेतां ते श्रीपाल रे । वि. । मन चिंते महारा प्रेमनी, गति एह शुं छे असराल रे ॥ वि. लो. ॥१८॥ जो प्राण कहुं तो तेह थी, अधिको किम लखिये प्रेम रे । वि. । कहं भिन्न अनुभव किम मिले, अविरुद्र उभय गति केमरे ॥ वि. ली. ॥१९॥ इम स्नेहल सा निज अंगजा, श्रीपाल करे दिये भूप रे । वि. । परणीमा आठे तस मली, दयिता अति अद्भूत रूपरे । वि.ली. ॥२०|| जंगल में मंगल :-राजा श्रीपाल मंत्रीजी ! आप सोपारक नरेश को शीघ्र ही मूचना कर दें कि वे भूल कर भी तिलकसुदरी का अग्नि-संस्कार न करें । "उतावला सो बावला" सांप का खाया छ महिने नहीं मरता है । कुचर को चैन कहाँ ! वे भी उसी समय शीघ्र ही इयमसान की ओर दौड़ पड़े । मार्ग में हजारों स्त्री-पुरुष राजकुमारी की उयमपान-यात्रा में आगे चले जा रहे थे। वे घुड़सवार को पीछे से आते देख वहीं हर गये | महसेन ने आगे बढ़कर कुंवर को प्रणाम करके कहा-श्रीमानजी! क्षमा करें। खेद है कि आज मैं आपकी कुछ भी सेवा न कर सका । बोलते वोलते राजा का हृदय भर गया, उनकी आंखो से अश्रुधारा बहने लगी । कुंवर ने कहा - राजेन्द्र ! डोनहार अच्छे अच्छे को नाच नचा देती है। देखो, सत्यवादी हरिश्चन्द्र को डोम के हाथ चिकना पड़ा। सती सीता वन वन भटकती फिरी और अंजना को वर्षों तक असह्य पतिवियोग सहना पड़ा। ये कर्म राजा के ही तो इतकंडे है । "कर्म को शर्म नहीं" आप जरा भी चिंता न करें, राजकुमारी के लक्षण स्पष्ट बोल रहे हैं कि यह मूछित हैं, मरी नहीं । भगवान का नाम-स्मरण कभी निष्फल नहीं जाता है। यह कुवरी
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
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