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जुआ, रेस, मट्टा और लारियों में किस्मत न अजमाओ । १८
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श्रीपाल रास (२) भोजन से पहले और बाद में मुंह हाथ साफ करना । (३) पेट, दांतों, बालों तथा हाथों को सदा साफ रखना | (४) निश्चित स्थान पर ही कफ, थूक, मलामूत्र त्यागना । (५) बाजार की मिठाइयां, होटलों की चाय नमकीन से बचकर अपने स्वास्थ का पूरा
पूरा ध्यान रखना । आलू, मूला, गाजर आदि अभक्ष अनंत काय से दूर रहना । (६) मुँह, नाक, कान में बार बार अगुली नहीं डालना ।
(७) खांसते समय हमेशा रुमाल का उपयोग करना, आसपास की जगह गंदी न करना । आपको चाहिये कि:
बरचों को आत्म निर्भर बनने की विशेष शिक्षा दें। स्वयं न्हाना, धोना, कपड़े पहनना माफ सफाई करना, अपनी पुस्तके, बिस्तर, कपड़े बर्तन आदि वस्तुएं उठा कर यथा स्थान रखना | अतिथि महमानों का स्वागत करना । अपनी दिनचर्या बड़े मनोयोग से करना ।
बच्चों के समय का महत्व समझें अपने अल्प स्वार्थ के लिये उनके अध्ययन में विघ्न न डालें । बच्चों को मारपीट कर अपने अपमान की खाई न खोदें ।
बच्चों को आज्ञा देते समय आपकी आवाज अधिकार पूर्ण ढंग से न होकर सप्रेम निवेदन के रूप में हो। बों में आप अविश्वास न रखें और न उन्हें बदनाम कर । अवसर देख प्रेम से समझाएं ।
___ अनजान में पट्टी फूटने, खेल कूद में कपड़ फटने पर बच्चों को दण्ड न दें। उसे प्रेम से हानि लाभ समक्षावें ।
महारानी सौभाग सुन्दरी और रूपसुन्दरी प्राणनाथ : बालिकाओं को विशेष अध्ययन के लिए कहीं भेजने की कृपा करें ।
महाराज प्रजापाल ने सुरसुन्दरी को बेदान्ती, कर्मकांडी पंडिन शिवभूति और मयणासुन्दरी को जैनागम के ज्ञाता पंडित सुबुद्धि के पास पढ़ने भेजी । चतुर कला चौसठ भणी, ते बेउ बुद्धि निधान ललना । शब्द शास्त्र सवि आवडया, नाम निघएटु निदान ललना ॥१२॥ देश. कवित्त कला गुण केवले, वाजिन गीत संगीत ललना ।