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________________ कज यह कोड है, जो जिन्दगो को गन्दा बना देता है। हि-बी अनुवाद सहित * * ** * २१७ पड़ौसी के बेटे के नये जूते, नये कपड़े, नया यस्ता, नया खिलौना देखा, घर आकर ___ मचल गए | बच्चे की मांग सामने आते ही आप एक दम आग बबूला न हो जाय । क्रोध कर चिढ़ चिढ़ाना छोड़ दे, मुन्ने को प्यार भरे शब्दो में अधिक नहीं थोड़ा दें, समय को शांति से टाल दें। बच्चे प्यार के भूखे हैं। बच्चों के लिये माता-पिता के प्रेम से बढ़कर दुनिया में कोई चीज नहीं । उन्हें प्रसन्न मन देख शिक्षा दें । ___ बच्चों की आरम्भ से ही ऐसी आदत डालो कि वे बिना मारपीट के ही प्रत्येक काम करते समय आपके अनुशासन का ध्यान रखें । दैनिक-चर्या का प्रभावः हम बच्चों को अपने अनुशासन में रखना चाहते हैं, तो हमें भी अपने दैनिक कार्यक्रम व्यवस्थित और यथा समय करना आवश्यक है। आपके नियमित आचरण से बच्चों को सुन्दर प्रेरणा मिलती है । आप प्रातः काल उठ कर अपने बड़े बुद्रों को प्रणाम कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, सामायिक, प्रतिक्रमण कर नवकारसी, पोरसी, पचक्खाण करने हैं, जिन मंदिर दर्शन कर ही चाय दूध भोजन करते हैं, तो आपके बच्चे भी निःसन्देश डीक मेला ही अनुमान करो। यदि आप पक्के रहे तो ! अन्यथा आप आलसी, व्यसनी बन बच्चे को आदर्श बालक के हप में देखें यह कैसे संभव हो सकता है ! .... एक व्यक्ति आप पर सौ रुपये मांगता है । आपने कहा कि मैं कल शाम को जरूर देदूंगा। दूसरे दिन दर्वाजे की खड़खड़ाट सुन आपने मुन्ने से कहा कि जा रे मुन्ना मोदी से बोल दे, कि बाबूजी बाहर गये हैं | मुन्ना बेचारा चुप-चाप खड़ा देखता रहा. यह क्या नाटक बाजी ? फिर बाहर से खड़ खड़ाहट आरम्भ हुई, पिताजी ने आंखें लाल कर बेटे को उत्तर देने को बाध्य किया । भोला भाला मुन्ना-पिताजी आप तो यही अन्दर हैं ! डंडा उठाकर अरे जाता है या...न...ही यचा कांप उठा उसके हृदय पर छाप लग गई की अपने घराने की यही प्रथा है । आपकी एक साधारण भूल बच्चों के भविष्य का अभिशाप है। आप जीवन के प्रत्येक कार्य प्रमाणिकता और परिमित ढंग से करें । इसमें कोई संशय नहीं कि बच्चे आपका अनुकरण न करें । वे अवश्य ही एक दिन आदर्श मानव बनेंगें । आरंभ से बच्चों में संस्कार डालें:• ११, शरीर और वखों की सफाई का पूर्ण ध्यान रखना :
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
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