________________
तुम्हारे पास पेसे न हो, भूखे सो जाओ, मगर कर्ज लेकर दूध मलाई न खाओ। १६ २२**** ** ********* * श्रीपाल रास बच्चों से संभाषण कैसे करें ?
बच्चों को आरंभिक संभाषण का वरदान माता-पिता से ही प्राप्त होता है। बच्च बड़ों की बात सुन कर ही, बहुत कुछ सीखते हैं । अतएव जब आप उनसे बात करें, उन्हें खिलौना न समझ कर एक व्यक्ति समझे। बच्चों में तर्क बुद्धि नहीं होती । वे अपने बड़े बुढों की बात को ही सच समझते हैं। सुनी सुनाई बातों पर वे विश्वास कर लेते हैं ।
बच्चों से बातचीत करते समय उसको समझ तथा जानकारी का ध्यान अवश्य रखे। छोटे वाक्य, सरल भाषा तथा परिचित विषय चुनने चाहिये । बच्चे आपकी बोल-चाल की भाषा ही समझ सकते हैं। . बों से बात-चीत करते समय जोर-जोर से हंसना, धमका कर या चिल्लाकर बोलना, हंमो मजाक में अशिष्ट-गन्दे शब्दों का प्रयोग, हाथ मुंह बनाकर बातें करना आदि ढंग बुरे हैं। बच्च इन दगुणों की झट नकल कर लेते हैं। बात-चीत में दोप आजाने से बच्चों का व्यक्तित्व प्रभाव-हीन हो जाता है। जल्दी-जम्दी बोलना कुछ नकिया कलाम यथा-समझे न, 'हां तो.' 'क्या समझे, बड़े आये, ठीक है बड़े अच्छे, टा पड़ी, कई नाम जो, आदि निरर्थक शब्दों का प्रयोग बच्चे सुन सुन कर ही सीख जाने हैं। इसी प्रकार हाथ हिला-हिला बात करना, मुंह फुलाना, आंख झपकना, कचर-कचर जल्दी-जल्दी कतरनी सी जीभ चलाना आदि दोष भी बच्चों में देखा. देखी ही आ जाते हैं। अनः बच्चों के साथ माता-पिता को बड़ी ही सावधानी में संभापण करना चाहिए । बच्चों से व्यवहार कैसे करें ? ।
बच्चों से न अधिक लाड़ करें और न उन्हें मार-पीट कर दुतकारें । अधिक लाड़ प्यार से वे सर पर चढ़ कर भविष्य में अपना जीवन विगाइ, आपको दुःख देंगे । यदि आप बच्चे के स्वभाव को न समझ कर उसे डाट डपट चार बार मार-पीट करते हैं, नो आप बों के दिल से गिर जायगें, वह समझ लेगा कि मां बाप दो तमाचे लगा कर रह जायगें. और इससे अधिक क्या होगा? आपके इस व्यवहार से संभव है बजे भविष्य में चोर लुटेरे धन आपके नाम को बदनाम कर दें।
..चों को पता नहीं कि आप अपने जीवन की घड़ियां किस प्रकार बीताते हैं ? आपकी आय, व्यय क्या है ? उनकी जाने बलाय | वाल राजा ठहरे। सूर्य अस्त और बच्चे अपने हाल में मस्त ।