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________________ वृक्ष कभी न फल चखे, नदो न संचे नीर । परमार्थ के कारणे, साधु धरे शरीर ॥ १७८-* -* - *-*-RANA श्रीपाल राप्त महामंत्र स्मरण का प्रत्यक्ष फल : श्रीपालकुबर को दुष्ट धवलशेठ ने मौत के घाट उतारना चाहा, किन्तु वे सिद्धचक्र महामंत्र के स्मरण-बल से बाल-बाल बच कर सूर्योदय होते ही सम्राट् वसुपाल के जमाई बन गए । थाणा नगर में घर घर उनकी चर्चा होने लगी । सचमुच सोये भाग्य को जगाने का अनुपम चमत्कारिक साधन है, श्री सिद्धचक्र ( नवपद ) आराधन । सम्राट् वसुपाल बड़े गुणानुरागी थे । उन्होंने भविष्यवक्ता पंडित को विपुल धन और अभिनन्दनपत्र दे उनका सत्कार किया । वसुपाल-पंडितजी ! राजकुमारी के लग्न कब करना १ पंडित-राजन् : "काल करे सो आज कर" ---जो काम कल करना है, सो आज ही कर लें, आज का कार्य इसी समय प्रारंभ कर दें अर्थात् आज का दिन ही सर्वश्रेष्ठ है । सम्राट् वसुपाल ने बड़े ही समारोह के साथ राजकुमारी मंदनभंजरी का विवाह श्रीपालकुंचर के साथ कर, उसे कन्यादान में विपुल धन, भवन, हाथी, घोड़े, रथ, पालकियां और बहुमूल्य वस्त्रालंकार प्रदान किये । राजा ने कुंवर को भी अनेक राज्याधिकार देने का अनुरोध किया किन्तु उन्होंने एक भी स्वीकार नहीं किया। वे समझते थे कि संपत्ति का लोभ ही तो स्नेह का घातक हैं । अंत में अपने ससुर सम्राट वसुपाल का मान रखने के लिये उन्हें थगीधर (स्वागत मंत्री) का पद ग्रहण करना पड़ा । मदनमंजरी गृहस्थ-शास्त्र में बड़ी निपुण थी। उसने अपने मिलनसार विनम्र स्वभाव, ज्ञानचर्चा, सेवा शुश्रूषा, पतिभक्ति से सहज ही श्रीपालकुंवर के मन को अपने आधीन कर लिया । श्रीपालकुंवर भी एक चतुर सुशीला पत्नी को पाकर शारीरिक और मानसिक व्यथा को भूल, सानंद थाणा नगर के राजमहल में रहने लगे । श्रीमान् कविवर उपाध्याय विनयविजयजी कहते हैं, कि यह श्रीपालरास के तीसरे खण्ड की दूसरी ढाल संपूर्ण हुई । पाठक एवं श्रोतागण त्रिकाल सिद्धचक का स्मरण कर अपना जीवन सफल बनाए । दोहा वहाण मांही जे हुई, हवे सुणो ते वात । धवल नाम कालो हिये, हरख्यो साते घात || १ | मन सिंचे मुज भाग्य थीं, महोटी थई समाधि । पल मांही विण औषधी, विरुई गई विराधि ॥ २ ॥
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
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