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कौड़ी कौड़ी जोड़ के जोड़े लाख करोड़ । चलते कुछ न मिला, लो लंगोटी सोच ॥ हिन्दी अनुवाद सहित R
R ERAKART-62 १७५ है। इस की बड़ी चिंता है । इस के सबंध का सु-योग कब तक है ? कहां और किस देश में होने की संभावना है ? यह स्वर्ण दिवस कब होगा कि मेरे राजमहल के प्रांगण में एक सुयोग्य जमाई के चरण होंगे ? कृपया आप बराबर अपना पंचांग देख कर सप्रमाण तिथि चार कहियेगा । जीरे महारे जोशी कहे निमित्त, शास्त्र तणे पूरण बले जीरे जी। ,, , पूख गत आमनाय, ध्रुव तणी परे नवि चले ,, ,,nel
,, सुदी दसम वैशाख, अढी पट्टोर दिन अतिकमे ,, ,,। " , स्यणायर उपकंठ, जई जोज्यो तेणे समे ,, ,, ॥९॥
, नवनंदन वन मांहि, शयन कीष चंपातले ,, ,। , , जो जो तस अहिनाण, तरुवर छांया नवि चले ,, , ॥१०॥
, राय न मानी वात, एम कहे एशें केवली ,,,।
अमने मोकलिया आंहि, आज वात ते सवि मली,, ,, ||११|| ,, , प्रभु थाओ असवार, अश्व स्तन आगल धर्यो , ,।
" , कुंवर चाल्यो ताम, बहु असवारे पखयों ,, ,, ॥१२॥ घर बैठे गंगा:
पंडित मीन, मेष वृ....षभ कह अपनी अंगुलियां नचाते हुए, खिलखिला कर जोर से हंस पड़े-राजन् ! हजारों वर्ष में ढूंढने पर भी ऐसा बलवान सुयोग नहीं आने का । वर की खोज में सम्राट बसुपोल ने हद कर दी थी, उन्हें विश्वास ही कैसे हो । कुछ लोगों ने व्यंग कस ही दिया। अजी ! ज्योतिषी की बात कभी जूठी हुई है। आप तो केवली (सर्वज्ञ ) ठहरे पांडेजी ! अबसर मत चूको । जो भी समझ में आई हो, कह डालो। . पंडित-राजन् ! 'आज जनता भले ही तर्क वितर्क कर मेरा उपहास करे। किन्तु ज्योतिषशास्त्र दीपक है। क्या उसके प्रकाश में भी सच झठ छिप सकता है ? कभी नहीं । मैं आपको सप्रमाण दावे के साथ कहता हूं, कि आप आगामी वैशाख शुक्ला दसमी को ढाई पहर दिन चढ़े अपने सेवकों को भेज कर समुद्र नट पर नवनन्दन वन में खोज करें । वहाँ आप को एक चेपे के पेड़ के नीचे एक सुन्दर