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________________ बेटा जाया तो क्या हुआ, क्यों बजावे धाल । अतो जाना होतो का सार ॥ १७४ *पुर भोपाल रास तीसरा खण्ड- दूसरी ढाल ( राग मधु मादन, जीरे अमिय रसाल, सुणतां मुझ आशा फली जीरे जी ) ॥१॥ 17 जीरे महारे जाग्यो कुंवर जाम, तब देखे दौलत मली जीरे जी । सुभद्र भला से बद्ध, करे विनंती मन रली स्वामी अरज अम एक, अवधारो आदर करी नयरी ठाणा नाम, वसे जिसी अलकापुरी तिहां राजा वसुपाल, राज्य करे नर राजियो कोकण जेश नरिंद, जस महिमा जग गाजियो „ ” ॥३॥ एक दिन सभा मझार, निमित्तियो एक आवियो " प्रश्न पूछवा हेत राय तणे मन भावियो कहो जोशी अम घूअ, मंदनमंजरी गुणवती तेह तणो भरतार, कोण याशे भलो भूपति केम मलशे अम एह, शे अहिनाणे जाणशुं " कोण दिवस कोण मास, घर तेडी ने आवशुं सकल कहो ए वात, जो तुम विद्या छे खरी " शास्त्र तणे परमाण, अम चिन्ता टालो परी " " "" 17 17 " " " 11 17 14 17 " "5 17 "" " "" ++ ?? " 99 11 1 " 33 12 17 " ?? 13 1) I "11311 घोड़ों की हिन हिनाहट, सैनिकों का कोलाहल सुन कुंवर की आंख खुली । वे महामंत्र सिद्धचक्र का स्मरण कर देखते रह गये । अपने चारों ओर सैनिकों का घेरा देख सोचने लगे-अरे ! क्या मैं स्वप्न देख रहा हूं ? नहीं । प्रधान मंत्री - श्रीमानजी ! राजमहल में पधारियेगा । सम्राट आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। श्रीपालकुवर - मेरी प्रतीक्षा १ प्रधान मंत्री जी हाँ ! कुंवर - कुछ परिचय देंगे ? प्रधान मंत्री - अवश्य । सुनिये: ?? " "} " ॥२॥ 1 77 "। ” ॥४॥ " I "11411 ,, । ,, ।। ६ ।। ?? - अलकापुरी ( इन्द्र की नगरी) के समान थाणा नगर के यशस्वी सम्राट वसुपाल एक दिन राज सभा में बैठे थे । सहसा कहीं से एक ज्योतिषी आ टपके। राजा ने पंडितजी का सादर सत्कार किया और पूछा- पंडितजी ! राजकुमारी मदनमंजरी पढ़ी लिखी युवा
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
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