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________________ आनन्द की खोज ही मनुष्य का सौभाग्य है । हिन्दी अनुवाद सहित *कले १३ नग प्रवाल, वंशलोचन और गिलोय सत्व आदि मिला कर दें। इस प्रयोग से भावी संतान की मस्तिष्क शक्ति बड़ी तेज होती है । (१५) विशेष - गर्भवती स्त्रियों को अपनी इच्छाएं अनुसन रखनी चाहिए । घरवालों को भी चाहिए कि वे गर्भिणी के मनोभावों को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से समझ कर उसे पूर्ण करने का प्रयत्न करे, इसी इच्छा का दूसरा नाम है दोहद इच्छा के अपूर्ण रह जाने से बालक दुर्बल हृदयं, लालची हतोत्साह - सुस्त पैदा होते हैं । कल्पसूत्र में सिद्धार्थ त्रिशला के जिस दोहद ( इच्छा) को पूर्ण न कर सके थे. उसे पूर्ण करने के लिए स्वयं इन्द्र महाराज को हार खाकर इन्द्राणी के कुण्डल देना पड़ थे । कर्मणा चोदितं जन्तोर्भवितत्र्यं पुनर्भवेत् । यथा तथा देवयोगा-दोहदं जनयेत् हृदि ॥ १ ॥ पूर्व जन्म के कर्मानुसार गर्भ में जैसा बालक बालिकाओं का भवितव्य होता है, उसी प्रकार गर्भवती स्त्री को दोहद ( दोहला ) इच्छा जागृत होती है। दोहद (दोहला ) का फलः गर्भवती स्त्री को यदि किसी राजा के दर्शन की इच्छा हो तो वह धनवान, महान् भाग्यशाली पुत्र को जन्म देती है। उसे प्रसूति के समय प्रायः कष्ट नहीं होता है। गर्भवती की सेवा भक्ति करने की, सिंहासन पर बैठ कर राज्य शासन करने की, तीर्थ यात्रा, धार्मिक उत्सव महोत्सव आदि की आकांक्षा ( दोहला ) जागृत हो तो वह स्त्री कुलदीपक शासन प्रभावक सन्तान को जन्म देती है । विशेष – श्री जैनागम - श्री भगवती सूत्र स्थानांग सूत्र, तन्दुल वेयालिय एवं श्री अभिधान राजेन्द्र कोष भाग ३ पृष्ठ ८३९ आदि ग्रन्थों में गर्भ स्थिति, संरक्षण, गो पाग आहारादि का माननीय विस्तृत वर्णन है। जिज्ञासु गण गुरु मुख से श्रवण कर अथवा स्वयं पढ़ कर लाभ लें | पंडित राज वाग्भट्ट का अभिप्राय है कि गर्भ स्थिति के नत्र में मास में प्रश्वति गृह की और दाई की व्यवस्था बड़ी सावधानी से करना आवश्यक है । (१) प्रश्वति गृह में स्वच्छ वायु और प्रकाश के लिए मार्ग खिड़कियांहोना चाहिये ।
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
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