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मदनमंजूषा का-मां का शुभ सदेशः
• श्रीपाल गस ' पृष्ठ-१६१
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____ मदनमंजूषा ! बेटी, ससुराल और मातृकुल की शोभा तुम्हारे आदर्श-जीवन पर ही निर्भर है। तन्नारियों के लिए पति ही परमेश्वर है तू अपने पति-देव की आज्ञा के विरुद्ध एक पैर भी आगे न नहाना । अपनी सौतों से निष्कपट व्यवहार कर, अति लोकप्रिय बनना ।।