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________________ जहाँ देखो वहां ही लगी, कनक कामिनी चाहा रोटी, कपड़ा विषयसुख लगी हृदय में दाह ॥ १२२ 106796 ॐ श्रीपाल राम भोजन बनाते समय शुद्ध बना ताजा जल, उना हुआ आटा साफ किये हुए दाल चावल मिर्च-मसाले काम में लेना चाहिए | स्वास्थ्य के लिये आटा, मिर्च प्राय: राजाना कूट पीस कर ताजा ही उपयोग में लेना विशेष हितकर है। यदि कहीं ऐसी सुविधा न हो तो: आटाः - श्रावण और भाद्रपद मास में ५ दिन आश्विन मास में ४ दिन; कार्तिक, मार्गशीर्ष और पौष मास में ३ दिन महा और फाल्गुन मास में ५ दिन चैत्र और वैसाख मास में ४ दिन; ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में ३ दिन के बाद काम में नहीं लेना चाहिये । मिठाई::- स्वास्थ्य और सिद्धान्त की अपेक्षा बाजार की मिठाइयां प्रायः घातक हैं । अधिकतर हलवाई लोग नकली मावा, घी, सत्त्व-हीन दही और चटपटे मसालों के बाह्य आडंबर से भोली जनता को शीघ्र ही आकर्षित कर लेते हैं। किन्तु ग्राहकों को बाजार को वस्तु से हेजा, अतिसार और असंतोष के सिवाय कुछ भी पल्ले नहीं पड़ता है । अतः मिठाइयों का मोह छोड़ कर सदा सात्विक भोजन करें। यदि कोई विशेष प्रसंग हो तो अपने परिवार की रुचि के अनुसार अपने घर पर शुद्ध मिठाई बना कर उसका बहुत ही कम मात्रा में उपयोग करें। घर पर बनी मिठाइयां सस्ती और स्वास्थ्यवर्धक होती हैं । मिठाइयां, चूले से उतारने के बाद ग्रिष्म ऋतु में बीस दिन, शीत ऋतु में एक माह और वर्षा ऋतु में पंदरह दिन तक उपयोग में ले सकते हैं । यदि मिठाइयां बराचर ठीक ढंग से न बनी हों, तो उनके रूप-रंग और स्वाद में अन्तर आने में उपरोक्त अवधि से पहले भी अभक्ष हो जाती हैं। अतः उन्हें काम में नहीं लेना चाहिये । भोजनालय अच्छे प्रकाश और शुद्ध हवा में रखना आवश्यक है । भोजनालय में साफ-सफाई, पाट-पाटले चंदरवे और गलनों का पूर्ण लक्ष्य रखें । दस चंदरवे: - (१) चूला (२) चक्की - पट्टी, (३) पानी (४) बिलोना (५) अंखली (६) भोजन का स्थान ( ७ ) शयन स्थान ( ८ ) सामायिक स्थान ( ९ ) देवस्थान (१०) अतिथि गृह । इन दस स्थानों पर चंदरबा (छत) बांधने से जीव दया और घर की शोभा बढ़ती है । सात गलने :- दही, दूध, घी, तेल, जल, आटा और शर्बत – इन सात पदार्थों को स्वच्छ धूले हुए वस्त्र और छननी में छान कर उपयोग में लेने से जीवदया और स्वास्थ्य की रक्षा होती है ।
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
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