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________________ शासक चाले धर्म पथ, जनता भी उस यह । शासक विषयी लपटी, जले प्रजा उस दाह ! हिन्दी अनुवाद सहित REENS ११९ अशिक्षित महिला सदा पति के हृदय में खटकती है:-- मदनसेना ! पुरुष का हृदय किसी बात से उतना अप्रसन्न, दु:खो नहीं होता, जितना कि अशिक्षित स्त्रो के व्यवहार से । वह चाहता है, कि स्त्री कपड़े वस्त्र-अलंकार ठीक तरह से पहने । समय समय पर हंसना, बोलना जाने । घर की प्रत्येक वस्तु साफ-स्वच्छ सजा कर रखे । आवश्यक वस्तुओं को यथास्थान व्यवस्थित ढंग से रखे, ता कि समय पर इधर-उधर दौडधूप न करना पड़े । झगड़ाल न हो । गुणानुरागिणी, मिलनसार हो । जो लड़की इसे नहीं जानती, इस प्रकार आचरण नहीं करती, वह अपने परिवार के लोगों से सदा अपमानित हो, अपने पति के हृदय में खटकती है। प्रत्यक्ष उदाहरण:-- देखो ! अपने यहां एक कामदार है, वे अपनी पत्नी का नाम सुनते ही नाक-भी सिकोड़ता है। परनी को अधिक समय पीहर में ही बिताना पड़ता है। जब कभी भी उसकी स्त्री घर पर आती है, सो परिवार में उसकी गिनती नहीं। कामदार उसका फहंडपन देख, उससे आंख बचा, इधर-उधर खिसक जाता है। वास्तव में वह स्वस्थ और परिश्रमी न हो, ऐसी कोई बात नहीं। वह अच्छी कुलीन, भली और पतिनता है, किन्तु कामदार को घणा है, उसके फूहड़पन से । __ कामदार कहता है कि पत्नी के रहते घर कबाउखाना मालम होता है। शयनगह में जूठे लोटे तासलियां रखीं है, तो भोजनालय में लहंगा लटक रहा है। कहीं पुस्तकें बिखरों पड़ी हैं, तो कहीं मैले कुचेले वस्त्रों पर मक्खियां भिन-भिना रहीं हैं। अच्छे सुन्दर वस्त्रों की पेटियां भरी पड़ी हैं, फिर भी फटे पुराने गन्दे वस्त्र पहिन, वह इधर-उधर डोलती-फिरती है । चूले पर दाल चढ़ा, हल्दी, हींग मसाले के लिये नौकर को दौड़ाया। शौच जाने के कपड़ों से ही साग छमकाने जा बैठी । सिर में तैल नहीं । बालों की सटें इधर-उधर लटक रहीं हैं, रोटी साग में देखो तो बाल ही बाल । ललाट में सौभाग्य-बिन्दी नहीं। कभी वच्चों को डांटा तो कभी नौकर-चाकरों से तू तू-मैं मैं। किसी को पहने ओढ़े पढ़ा-लिखा देखा तो मुह बांका-टेढ़ा करना, पांव पर पांव रखकर बैठना, नाखून से मिट्टी खोदना, दांतों से नाखून काटना, मुंह में मंगुली डासना, आंखे मटकाना, जरा जरा सी बातों में घर सिर पर उठाते देर नहीं । मदनसेना ! आज समाज में कामदार की बहू के समान अनेक फूहड़ अशिक्षित स्त्रियाँ हैं । वे नहीं जानती कि शिष्टाचार किसे कहते हैं। चलना-फिरना, वार्तालाप करना, सोना पिरोना, भोजन बनाना, गृह प्रबंध की कला है । इस कला से अनजान लड़की या स्त्रो कमी अपने जीवन में सफलता नहीं प्राप्त कर सकती है। "सुखी जीवन का महत्त्वपूर्ण उपाय है. सद्ग्रंथों का अध्ययन, मनन और चिंतन करना"। इन शब्दों को न भूलो :-- (१) मृदु स्वभाव, सदा हंस कर बोलो । (२) माता-पिता, भाई-बहन, सास-ससुर, ननद-जेठानी आदि परिवार से प्रेम रखो। (३) परिश्रमी स्वभाव, कभी बेकार न रहना ।
SR No.090471
Book TitleShripalras aur Hindi Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherRajendra Jain Bhuvan Palitana
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size12 MB
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