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चिदानन्द निर्धय सदा, निश्चल एक स्वरूप । प्रेम संज्ञान ने सेवतो, विघन टले भवकूप ।। हिन्दी अनुवाद सहित K ANCHARSHANKARIOR १९३ तव कुंवर भाखेरे, कुल जाण्यां पाखे रे, किम चित्तनी साखे दोजे दीकरी रे॥१॥ कहे नृप अवतंस रे, छानो नहीं हंस रे, जाण्यो तुम उत्तम वंश गुणेकरी रे । जाणे सहु कोई रे, जे नजरे जोई रे, हीरो नवि होइ विण वेरागरे रे॥५॥
सूर्योहय होते ही महाकाल राजा अपने प्रधान मंत्री, अमीर, उमराव, हाथी, घोड़े, पायदल डंके निशान, ढोल नगारों के साथ बड़ी सजधज से श्रीपालकुंवर को लेने उद्यान की ओर चल पडे ।
श्रीपालकुंबर के शुभागमन के समाचार बात की बात में शीघ्र ही चारों ओर फैल गए। चौराहों पर पैर रखने की तिल मात्र जगह नहीं, अपार भीड़ । हजारों बीपुरुप अपने मकानों की छतों और झरोखों पर चढ़ कर अतिथि के दर्शन की प्रतीक्षा कर रह थे।
उद्यान से कुछ दूरी पर सामने से घोड़ा कुदाते हुए श्रीपालकुंबर को आते देख, राजाने कहा, पधारिये ! पधारिये !! श्रीमान्जी ! आपने आज बड़ी कृपा की। दोनों बड़े स्नेह से एक दूसरे के गले लगे, महाकाल ने उन्हें सादर हाथी के होदे चढ़ा बड़े ठाठ से नगर की ओर प्रयाण किया। मार्ग में प्रतिष्ठित नागरिकों ने स्थान-स्थान पर, अक्षत, और बहुमूल्य मोतियों के स्वास्तिक, तथा महिलाओं और कन्याओं ने अपनी छतों और झरोखों से सुगन्धित पुष्पों की वृष्टि कर कुंवर का हृदय से स्वागत किया । श्रीपालकुंवर की जय हो ! जय हो !! जय रख से सारा आकाश गूंज उठा | जनता, कुंवर के रूप, सौंदर्य, विनम्र स्वभाव, प्रसन्न मुख, मधुर भाषण और दिव्य तेज देख मुग्ध हो गई । अहो ! धन्य है इन महापुरुष को ।
___ महाकाल, कुंवर को अपने राजमहल में ले गये, वहां हलबा, पूडी, दाल-भात, लड्ड चलेबी, घेवर, फीणी, सेव, दाल, भजिये, कचोरी, दहीबड़े, आदि अनेक प्रकार के स्वादिष्ट भोजन और पान, सुपारी, इलायची, केशर, सुगन्धित गुलाबजल से उनका सत्कार किया ।
एक दिन श्रीपालकुंवर रत्नजड़ित स्वर्ण-सिंहासन पर बैठ कर बब्बर कुल के गणमान्य सज्जनों से आमोद-प्रमोद की बातें कर रहे थे। महाकाल ने खड़े होकर बड़ी नम्रता से कहा-श्रीमानजी! धन्यवाद । हम आपके हृदय से बड़े आभारी हैं। आपने यहां पधार कर हमारी इस कुटिया की शोभा बढ़ाई। अब आप मेरी प्रिय पुत्री मदनसेना को स्वीकार कर हमें अनुगृहित करें ।
कुंवर ने मुस्करा कर कहा-राजेन्द्र ! आपको शत-शत धन्यवाद हैं। आप एक बड़े गंभीरहृदय, उदारचेता व्यक्ति हैं। ऐसे बहुत कम मनुष्य हैं, जो कि बुराई