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मत दे उपदेश तू, प्रथम तू ले उपदेश । सब से न्यारा अगम है, यह शानी का देश । हिन्दी अनुवाद सहित
* *% 8२ १०७ जी हो सुभट सवे तुम किहां गया, जी हो बांध्या बांह मोड़। जो हो एवई दुःख न देखना, जी हो जो देता मुज कोड । सु० १३॥ जी हो सेठ कहे तुमे का दियो, जी हो दाधा उपर लूण । जी हो पड्या पछी पाटू किसी, जी हो हणे मुवाने कूण ।। सु० १४॥ जी हो कहे कुंवर वेरी गयुं, जो हो जो वालु ए वित्त । जी हो तो मुजने देशो किश्यु, जी ही भाखो थिर करी चित्त ॥सु० १५॥ जी हो सेठ कहे सुण साहिबा, जी हो ए मुज कारज साध । जी हो वहेंची वहाण पांचशे, जी हो लेजो आधो आध ।।सु. १६॥ जी हो गोल संग साखी लणो, मझो कुंवर पाड़ी तंत। जी हो धनुष तीर तस्कस ग्रही, जी हो चाल्यो तेज अनंत ।।सु० १७॥
बन्दरगाह पर चारों ओर सन्नाटा छा गया । लोग कहने लगे, देखो सेठ ने कैसी मूर्खता की ! जान बूझकर अपने पैर पर कुठाराघात किया । चोरी और सीनाजोरी के फलस्वरूप आज इस सेठ को प्रत्यक्ष भरे चूहे के समान उल्टा लटकना पड़ा । सेठ की दुर्दशा सुन श्रीपालकुंवर भी वहां आ पहुंचे। सेठ कुंवर को देख झेंप गए । श्रीपालकुंवर ने कहा, सेठजी ! नमस्ते । यदि आप मेरी बात मानते तो, आज आपकी यह दशा नहीं होती । उस दिन मुझे एक करोड़ स्वर्ण-मुद्राएं देना आपको बड़ा अखरता था, किन्तु अब तो आपको प्रत्यक्ष अनुभव हो गया होगा कि आपके अनुचर कितने खरे और शूरवीर हैं?
धवल सेठ ने सिसकते हुए धीरे से कहा, कुंवरजी ! जले पर नमक डाल, मरे को क्या मारना ? ठोकर खाकर गिरे हुए व्यक्ति को ऊपर से और धक्का मारना उचित नहीं । श्रीपालकुंवर ने कहा, सेठजी ! में आपके हित के लिये कहता हूँ । कहीं ऐसा न हो कि आप व्यर्थ ही अपने कीमती मनुष्यभव से हाथ धो बैठे । अब भी समय है, यदि आप कहें तो में आपको बन्धन से मुक्त कर गई हुई सारी संपति राजा से वापिस ला दूं ? संपत्ति मिलने पर आप मुझे क्या श्रम देंगे ? संपत्ति का नाम सुनते ही सेठ की आंखों में रोशनी आ गई । वे बोले, कुंवरजी! फिर तो क्या कहना ! यदि वास्तव में मेरा गया हुआ माल वापस आया तो, मैं उसमें से अपना आधा हिस्सा, अर्थात् माल से भरे हुए ढाई सौ जहाज आप श्रीमान् को भेट कर दूगा । कुंवर ने