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________________ गुरुभक्ति और आर्षपरम्परा आस्था का परिचय दिया है। उन्हें अधिकाधिक आशीर्वाद है कि ज्ञान और विराग का सामञ्जस्य उन्हें प्राप्त हो। श्री नाथूलालजी प्रबन्धसम्पादक तथा अन्यान्य कार्यकर्ताओं को हमारा पूर्णतः आशीर्वाद है वे इसी प्रकार निर्भय हो पागम की सेवा में तनमन अर्पण कर शीघ्र पूर्णज्ञान प्राप्त करने में समर्थ हों। इस ग्रन्थ के प्रकाशन में जिन जिन धर्मबन्ध श्रावक-श्राविकाओं ने आर्थिक सहयोग प्रदान कर इस अप्रकाशित अमूल्य ग्रन्थ को प्रकाशित करा जन-जन के हितार्थ सुलभ बनाया है वे सतत इसी प्रकार नश्वर सम्पदा का सदुपयोग कर प्रात्मज्ञान साधक बने यह मेरा आशीर्वाद है । सद्धर्भवृद्धिरस्तु । नमः श्री शान्तिनाथाय, ॐ शान्ति, परमशान्ति ।। म० प्रा० १०५ विजयामति PANN JAAAAD
SR No.090464
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages598
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size16 MB
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