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________________ २६.] [श्रीपाल चरित्र चतुर्थ परिच्छेद हे बुद्यिमन् (त्वम् ) आप (मे) मुझे (वक्तुम् ) कहने को (अर्हसि) समर्थ हैं ? अर्थात् बतायें (ततः) इस प्रकार पूछने पर (यतिः) मुनिराज (एवम् ) इस प्रकार (जगी) कहने लगे (भो) हे (विद्याधरभूपते) विद्याधर नरेश ! (अस्मिन्) इस (द्वी) द्वीप में (जिनेन्द्राणाम ) जिनेन्द्र भगवान के (सहस्रशिखर) एक हजार शिखरों से (अन्विते) युक्त ( चैत्यालये) जिनालम में (इढम् ) मजबूत (महावज्रकपाट) महावज्र के किवाड (युगलम ) युगल को (यः । जो (व्यक्तम ) स्पष्ट (उद्घाटयिष्यति) खोलेगा (सः) वह (महाकोटिभटः) महाकाटिभट (पुमान्) पुरुष (ते) तुम्हारी (सुतायाः) कन्या का (भर्ता) पति (भविष्यति) होगा (नसंशयः) इसमें संशय नहीं ।।१४५ से १४८।। भावार्थ-वह राजा पुन. श्रीपाल से कहता है, हे महानुभाव सुनिये । एक दिन मैं ज्ञानसागर नाम के यतिश्वर के दर्शनार्थ गया। वे यासराय थयानाम तया गुम" थे । विज्ञानलोचन के धारी थे। संसार शरीरभोगों से सर्वथा बिरक्त प्रात्मध्यान लीन थे। तो भी करुणा के रत्नाकर, परोपकार परायण थे। मैंने बड़े भक्ति भाव से उनकी पवित्र चरण वन्दना की । नमस्कार कर बैठा । पुन: सविनय नमन कर हाथ जोड़ प्रार्थना की कि हे ज्ञानमुर्ते! हे योगीश्वर ! मेरी सर्वलक्षण संयुक्त कन्या का पति कौन होगा ? इस प्रश्न का उत्तर देने में आप पूर्ण समर्थ हैं। प्रतः कृपाकर मेरा सन्देह निवारण करें। आप दया निधान है। इस प्रकार प्रार्थना करने पर मुनिराज ने कहा, हे नरोत्तम हे विद्याधर नरेश ! सुनो, आपके द्वीप में सहस्रकूट जिनालय है। यह एक हजार अद्भुत शिखरों वाला जिनमन्दिर बनकिवाडों से जड़ा है। कोई भी आज तक इन वज्रकिवाडों को नहीं खोल सका । अब जो महानुभाव यहाँ पाकर इन दोनों किवाडों को खोलेगा वहीं कोटिभट महापुरुष तुम्हारी कन्या का बर होगा। इसमें कोई सन्देह नहीं है। निश्चित ही वह महासुभट आयेगा ॥१४५ से १४८।। -- अद्य प्रकृष्ट पुण्येन स त्वञ्चात्र समागतः । श्रुत्वाहं सेवकावत्र त्वां दृष्टुञ्च सुधीरितः ॥१४६।। अन्धयार्थ...-मुनिराजकथित (सः) वह महानुभाव (रबम.) आप (अ) प्राज (प्रकृष्ट) महान (पुण्येन) पुष्य से (अत्र) यहाँ (समागतः) आये पधारे हैं (इति) इस प्रकार
SR No.090464
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages598
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size16 MB
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